विशेषज्ञों की भ्रांतियाँ Illusions of pundits : सनातन बोध – 17

Illusions of pundits theory. क्या मनोवैज्ञानिक पक्षपात से परे होते हैं? क्या उनके मस्तिष्क लोगों और स्वयं के वास्तविक स्वरूप को समझ पाते हैं? अध्ययनों में इसके रोचक परिणाम मिले हैं। सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 1  , 2, 3, 4 , 5 , 6, 7, 8, 9 , 10, 11,12, 13, 14 , 15 , 16…

सप्ता दियो सुहाग ! – सप्तमातृका

सप्ता दियो सुहाग ! प्रतिभा सक्सेना का मघा में पहला लेख है।  हिन्दी भाषा में परम्परा से चले आते कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका समय के प्रवाह एवं परिस्थितियों के चक्र में पड़ कर बहुत अर्थोपकर्ष हो चुका है। सामाजिक परिवर्तनों तथा सांस्कृतिक अवमूल्यन के कारण शब्द भी अपनी व्यञ्जना शक्ति और प्रभावशीलता खो कर…

Harivansha हरिवंश [ पुराण चर्चा – 1 : विष्णु दशावतार तथा बुद्ध – 1]

पुराणों में ही उल्लिखित विविध पुराण श्लोक संख्याओं का अब उपलब्ध श्लोक संख्याओं से भेद मिलता है। पुराण परम्परा निरन्‍तर अद्यतन होती रही है। Harivansha Puran हरिवंश पुराण।

वेण्डी डॉनिगर Wendy Doniger के समक्ष याज्ञवल्क्य की आवश्यकता है

अकादमिक धूर्तता के कुछ नगीने – “I show how deeply embedded the ‘slut assumption’: that any time a woman appears with a piece of valuable jewellery, everyone assumes that she got it from some man she slept with: her husband (if she is good girl) or a lover (if she is unmarried and not a…

INDIAN ROLER/INDIAN BLUE JAY नीलकण्ठ, चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी के पास, माझा, अयोध्या, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, May 21, 2017

नीलकण्ठ Indian Roller / Indian Blue Jay

नीलकण्ठ  Indian Roller / Indian Blue Jay आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिसा तथा कर्नाटक का राजकीय पक्षी है। यह एक समभौमिक पक्षी है। यह श्येन  (बाज ) के स्वर की अनुकृति कर सकता है। INDIAN ROLER/INDIAN BLUE JAY नीलकण्ठ, चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी के पास, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, २१ मई, २०१७…

आदिकाव्य रामायण से – 21 : सुंदरकाण्ड, सीता क्या नष्ट हुईं? [विनष्टा वा प्रनष्टा वा मृता वा जनकात्मजा]

मन जाने कितने अनिष्टशिखरों का आरोहण अवरोहण कर चुका था। कोई विकल्प शेष नहीं था, इतना स्पष्ट हो गया था कि जीवन बचाते हुये वहीं रहना था। मन की धुंध कुछ छँटी, स्पष्टता आई तथा कपि की दृष्टि भी स्वच्छ हुई। विशाल वृक्षों से युक्त अशोकवनिका दिखी – अरे! इसमें तो मैंने ढूँढ़ा ही नहीं!

अशोकवनिका चापि महतीयं महाद्रुमा
इमामभिगमिष्यामि न हीयं विचिता मया

अकादमिक चौर्य कर्म तथा भारतीय भाषाओं के लिये एक मञ्च

भारत के उच्च शिक्षा शोध संस्थानों की प्रतिष्ठा एवं वरीयता अंतर्राष्ट्रीय स्तर की न होने के ढेर सारे कारणों में से प्रमुख एक है – अकादमिक शुचिता का अभाव। निचले स्तर पर छिछ्लापन एवं चौर्य कर्म की प्रचुरता तो है ही, स्तरीय कहे जाने वाले संस्थान भी पीछे नहीं। ‘फ्रॉड’ करने में भी उनका नाम…

GREATER COUCAL CROW PHEASANT SOUTHERN COUCAL महोख डुगडुगी, चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी के पास, माझा, अयोध्या, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, May 07, 2017

GREATER COUCAL CROW PHEASANT SOUTHERN COUCAL महोख डुगडुगी

GREATER COUCAL महोख या डुगडुगी। महोख कौवे जैसा एक बड़ा पक्षी है तथा कोयल परिवार का होते हुए भी परजीवी नहीं। यह लाल और भूरे परों वाली चिड़िया है।     हिंदी नाम:  महोख, महोक, कूक, कूका, डुगडुगी, भारद्वाज/नपिता (मराठी), कुक्कुभ(संस्कृत) वैज्ञानिक नाम: Centropus Sinensis Kingdom – Animalia Phylum – Chordata Class – Aves Order –…

इतिहास अंत भ्रांति The End of history illusion : सनातन बोध – 16

सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 1  , 2, 3, 4 , 5 , 6, 7, 8, 9 , 10, 11,12, 13, 14 , 15 से आगे 2013 में ‘साइंस’ पत्रिका में ‘इतिहास अंत भ्रांति’ (The End of history illusion) के नाम से एक बहुचर्चित शोध प्रकाशित हुआ। हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डैन गिल्बर्ट भी इसके लेखकों में से एक थे। इस शोध में एक…

नागरिक स्वतन्त्रता की सिद्धि क्या है?

चीन की सीमायें भारत से नहीं मिलतीं, तिब्बत की मिलती हैं। यदि आप मानचित्र देखें तो समझ पायेंगे कि सारी उत्तरी सीमा पर तिब्बत चीन एवं भारत के बीच एक ‘बफर’ था। बौद्ध धर्म चीन एवं तिब्बत दोनों को भारत से मिला। भारत एवं चीन दोनों अति प्राचीन सभ्यतायें हैं एवं उनके आपसी सांस्कृतिक सम्बंध…

सुख, विभेदकारी बुद्धि एवंं उपद्रष्टा आत्मरूप : सनातन बोध – 15

हमारा नित्य आत्मरूप (true self) है क्या? अनुभूति और स्मृति आत्मरूप तो नहीं? और यदि ये अनुभूति और स्मृति आत्मरूप हमारे गुणसूत्रों में ही अंतर्निहित हैं तो इससे केवल यह पता चलता है कि हमारे गुणसूत्र भी हमारे नित्य आत्मरूप नहीं है, हमारा वास्तविक आत्मरूप इससे परे है एवं इस संज्ञानात्मक पक्षपात से बचने के लिये हमें उस वास्तविक स्वरूप का चिंतन करना चाहिए। श्वेताश्वतरोपनिषद, मुण्डकोपनिषद तथा कठोपनिषद में वर्णित दो पक्षियों की उपमा वाला यह दर्शन  मूलत: ऋषि दीर्घतमा औचथ्य द्वारा दर्शित ऋग्वेद की ऋचा (1.164.20) का यथारूप है।

व्यापक दृष्टि रखें, समूह-वैचारिकता से बचें, इतिहास की स्मृति रखें look at the big picture

बहुत ही कम लोग हैं जो इस तरह की स्वतंत्र जाँच में नियमित आधार पर संलग्न होते हुये अपने मानसिक संतुलन को बनाए रख सकते हैं…यदि कोई दावा करता है कि 2030 में मानव समाज में सौर ऊर्जा, ऊर्जा उत्पादन तथा उपभोग का प्रमुख रूप  होगी  (और किसी ने किया भी है ), तो मैं इस तरह के दावे का आधार खोजना चाहूँगा, यदि कोई आधार है तो तथा यह भी देखना चाहूँगा कि उपभोग की सामयिक प्रवृत्ति क्या इसकी सम्भावना बताती है? कोई भी घटना केवल इसीलिये नहीं घटित होगी कि कुछ चतुरमना भविष्य में उसके घटने में विश्वास करते हैं!!!

आदिकाव्य रामायण से – 20 : सुंदरकाण्ड, [न हि मे परदाराणां दृष्टिर्विषयवर्तिनी]

आदिकाव्य रामायण – 19 से आगे …  आगे बढ़ते हनुमान जी को पानभूमि में क्लांत स्त्रियाँ दिखीं, कोई नृत्य से, कोई क्रीड़ा से, कोई गायन से ही क्लांत दिख रही थी। मद्यपान के प्रभाव में मुरज, मृदङ्ग आदि वाद्य यंत्रों का आश्रय ले चोली कसे पड़ी हुई थीं – चेलिकासु च संस्थिता:। रूप कैसे सँवारा…

हुदहुद Upupa epops (खटोला, नवाह, नउनिया) : अवधी चिरइयाँ

  वैज्ञानिक नाम: Upupa epops हिन्दी नाम: हुदहुद, खटोला, नवाह, नउनिया (भोजपुरी) संस्कृत नाम: पुत्रप्रिय अंग्रेजी नाम: Common Hoopoe / Eurasian Hoopoe चित्र स्थान और दिनाङ्क: सरयू नदी के पास माझा अयोध्या, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश। 28/08/2017 छाया चित्रकार (Photographer): आजाद सिंह Kingdom: Animalia Phylum: Chordata Class: Aves Order: Bucerotiformes Family: Upupidae Genus: Upupa Species: epops Category:…

नगरीकरण एवं भारत का विकास : जन-कुपोषण एवं खटमल विकास

हम, भारत के लोग, विश्व की कुल कुपोषित जनसंख्या का एक चौथाई अपने में समोये हुये हैं। कुपोषण ग्रामीण, नागर, धनी, निर्धन, मध्यवर्ग इत्यादि सब की वास्तविकता है। खाद्यान्न वितरण के विशाल सरकारी तंत्र पर हमारे सकल घरेलू उत्पादन का एक प्रतिशत व्यय होता है जो कि बहुत बड़ी राशि है तब भी हमारे गोदामों…

आदिकाव्य रामायण से – 19 : सुंदरकाण्ड, [चुचुम्ब पुच्छं ननन्द चिक्रीड जगौ जगाम]

आदिकाव्य रामायण – 18 से आगे …  रावण वैसा ही लग रहा था जैसे स्वच्छ स्थान पर ऊड़द का ढेर पड़ा हो, जैसे गङ्गा की धारा में कुञ्जर अर्थात हाथी सोया हो, माष राशिप्रतीकाशम् नि:श्वसन्तम् भुजङ्गवत्। गाङ्गे महति तोयान्ते प्रसुप्तमिव कुञ्जरम्॥  चहुँओर जलते स्वर्णदीपकों से रावण के सर्वाङ्ग वैसे ही प्रकाशित थे जैसे बिजलियों से…

प्रतिभूति (शेयर) बाजार में व्यापार (ट्रेडिंग) share market trading

बाजार के एक मित्र से बात हो रही थी कि कई लोग शेयर बाजार को गाली देते हैं और कहते हैं कि यह बाजार सही नहीं है, न निवेश के लिये, न ही कमाने के लिये और शेयर बाजार केवल जुआ या सट्टाबाजार जैसा ही है, और इससे अधिक कुछ और नहीं। सही बताऊँ तो…

Plum-Headed Parakeet (Male), टोइंया सुग्गा (नर), चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी के पास गुप्तार घाट, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, May 28, 2017

Plum-Headed Parakeet, टोइंया सुग्गा, टुई, तोता

Plum-Headed Parakeet, टोइंया सुग्गा, टुई। जैव विविधता की कड़ी में आजाद सिंह का आज का लेख भारत में पाए जाने वाले इस तोते पर। Plum-Headed Parakeet (Male), टोइंया सुग्गा (नर), चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी के पास गुप्तार घाट, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, May 28, 2017  हिंदी नाम: टोइंया सुग्गा, टुई (…

मध्यमान प्रत्यावर्तन (reversion to mean) सिद्धान्त : सनातन बोध – 14

सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 1  , 2, 3, 4 , 5 , 6, 7, 8, 9 , 10, 11,12, 13 से आगे मध्यमान प्रत्यावर्तन (reversion to mean),  सांख्यिकी, मनोविज्ञान और व्यावहारिक अर्थशास्त्र का एक सहज परन्तु महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है। चार्ल्स डार्विन के चचेरे भाई फ़्रैन्सिस गॉल्टॉन को इसके प्रतिपादन का श्रेय दिया जाता…

यज्ञोपवीत संस्कार : अवधी लोकगीतों में अभिव्यक्ति

डॉ. अनीता शुक्ल हिंदी विभाग, महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा _______________________________________ वर्णाश्रमों में विभाजित भारतीय सामाजिक जीवन में पुत्र का अत्यंत महत्व है। पुत्र वंश को बढ़ाता है, पितृ ऋण से उऋण करता है – ‘पुनाति य: सुचरितै: पितरं स पुत्र:’। ऐतरेय ब्राह्मण में कहा गया है:  ऋणमस्मिन् संनयत्यमृतत्वं च गच्छति। पिता पुत्रस्य जातस्य पश्येच्चेज्जीवतो मुखम्॥…