Valmikiya Ramayan प्रमदावन विध्वंसक हनुमान

sundarkand व्यर्थ ब्रह्मास्त्र : वाल्मीकीय रामायण – ४६ [हरीश्वरस्य दूत:]

अस्त्र से मुक्त होने पर भी हनुमान ने दर्शाया नहीं तथा राक्षस उन्हें घसीटते एवं बंधन में पीड़ित करते चले। वे क्रूर उन्हें लाठियों व मुक्कों से पीटते हुये रावण तक घसीट ले गये।

आचार्यशङ्करस्य जन्मवृत्तान्त:

आचार्यश्रीशङ्करभगवत्पादस्य जन्मस्थान-जन्मसमयादिविषये मतवैभिन्न्यं दृश्यते । चतुर्दशशतके विरचितं माधवीयशङ्करविचयम्, पञ्चदशशतके प्रणीतं चिद्विलासीयशङ्करविजयम्, सप्तदशशतके विरचितं केरलीयशङ्करविजयमिति ग्रन्थत्रयं श्रीशङ्कराचार्यस्य जीवनचरित्रं विवृणोति ।

Valmikiya Ramayan प्रमदावन विध्वंसक हनुमान

Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण-४५, [अक्षकुमार वध]

अक्षकुमार वध – भुजायें, जङ्घायें, कटि एवं गला टूट गये, अस्थियों का चूर्ण बन गया, आँखें निकल आईं। संधियों के भङ्ग होने के साथ साथ देहबन्ध भी ढीले पड़ गये।

Indian Pygmy Woodpecker छोटा कठफोड़वा

Indian Pygmy Woodpecker छोटा कठफोड़वा : अवधी चिरइयाँ

Indian Pygmy Woodpecker छोटा कठफोड़वा, चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू कछार, माझा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, २८ जुलाई २०१९ नाम : Indian Pygmy Woodpecker छोटा कठफोड़वा, श्याव या पिङ्गल या भूरा सिर कठफोड़वा Brown-Capped Pygmy Woodpecker, छोटा सुतार वैज्ञानिक नाम ZOOLOGICAL NAME: Dendrocopos nanus Kingdom: Animalia Phylum: Chordeta Class: Aves Order: Piciformes Family: Picidae…

Valmikiya Ramayan प्रमदावन विध्वंसक हनुमान

Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण-४४, [दासोऽहं कोसलेन्द्रस्य]

काञ्चन मृग हो या ऐसे खर, रामायण अपनी प्राचीनता के अन्तर्साक्ष्य बारम्बार प्रस्तुत करता है। रामायण में वैदिक देवताओं के सन्दर्भ विपुल हैं तथा इन्द्र, वायु, मरुद्गण आदि की बड़ी महत्ता है।

प्रसन्न सार्थक सफल सुखी जीवन, सनातन व पश्चिम : सनातन बोध – ६२

प्रसन्न सार्थक सफल सुखी, अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणा में लिखे शब्द pursuit of happiness को अधिकांशतया लोग जीवन का लक्ष्य मानते हैं। प्रसन्नता एवं सार्थकता के बीच अर्थहीन से प्रतीत होते विभाजन पर अनेक गम्‍भीर अध्ययन हुए हैं।

सिनीवाली हे देवी सरस्वती! हमें लक्ष्मी दें। हे देवी लक्ष्मी! हमारी विद्या बढ़े।

पञ्चदिवसीय दीपपर्व पञ्चकोशीय देवी साधना-आराधना का पर्व है। पितरों के आह्वान पश्चात शारदीय नवरात्र से आरम्भ हो पितरों को विदा देने के आकाशदीपों तक का लम्बा कालखण्ड प्रमाण है कि यह विशेष है।

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि या हल्‌ सन्धि – अन्तिम भाग : सरल संस्कृत – ११

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि – भगवद्गीता में ‘श्रद्धावान् लभते ज्ञानं तत्पर:’ का पाठ ‘श्रद्धावाल्‌ँलभतेज्ञानन्‍तत्पर:’ होगा।

Death मृत्यु से भय कैसा? : सनातन बोध – ६१

Death मृत्यु से भय कैसा? इसका संज्ञान सुखी जीवन की ओर ले जाता है। इस दर्शन का अलौकिक लाभ हो न हो, मनोवैज्ञानिक लाभ तो स्पष्ट ही है।

Vyanjan Sandhi व्यञ्जन सन्धि या हल्‌ संंधि – २ : सरल संस्कृत – १०

त्र्यम्बकम् . यजामहे . सुगन्धिम् . पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकम्. इव. बन्धनात् . मृत्योः . मुक्षीय . मा . अमृतात् ॥ इसमें बन्‍धनात्‌ एवं मृत्योर्मुक्षीय की सन्‍धि में प्रथम शब्द के अन्तिम ‘त्‌’ के पश्चात मृत्यु का म्‌ आया है अत: संधि पश्चात त्‌ का परिवर्तन सवर्गी अनुस्वार न्‌ में हो कर बन्धनान्‌ हो जायेगा।उच्चारण शुद्धि हेतु श्री सूक्त में देखें।

Sudharma सुधर्मा सभा हरिवंश, लोक, लोकतन्‍त्र व वर्तमान हिन्‍दू जन

Sudharma सुधर्मा सभा हरिवंश – नाधनो विद्यते तत्र क्षीणभाग्यो पि वा नर: । कृशो वा मलिनो वापि द्वारवत्याङ्कथञ्चन ॥ आप ‘हरिवंश’ हैं भी?

धूप घमछहियाँ बारिश धीर समीर

पद्मश्री सम्मानित आचार्य सुभाष काक की कवितायें पढ़ना उनके बहुआयामी व्यक्तित्त्व के एक अनूठे पक्ष को उद्घाटित करता है। इन क्षणिकाओं में युग समाये हैं, शब्द संयम में जाने कितने भाष्य। लयमयी रचनाओं में जापानी हाइकू सा प्रभाव है जो प्रेक्षण एवं अनुभूतियों की सहस्र विमाओं में पसरा है।

Satan and Sanaatan शैतान एवं सनातन अनेकांतवाद : सनातन बोध – 57

हिब्रू मूल से उपजे अरबी शब्द शैतान के समानार्थक कोई शब्द भारतीय वाङ्मय में नहीं है। शैतान का अर्थ या उसकी तुलना राक्षस, असुर, दैत्य, दानव इत्यादि पौराणिक प्रजातियों से करना मूर्खता ही है।

सौत्रामणियागस्य स्वरूपम्

मनुना प्रोक्तं यत् वेदाः अस्माकं पथप्रदर्शकाः जीवनविद्यायिकाः एकमात्रं शरणाश्च सन्ति । वेदाः एव धर्मस्य प्रतिपादकाः । वस्तुतस्तु सर्वेषां धर्माणां मूलं वेदाः ।

NCERT Books रा.शै.अ.प. की पुस्तकें – 2 : कक्षा प्रथम ‘गणित का जादू’

शून्य के उदाहरण को वस्तुओं की घटती संख्या के माध्यम से बता कर इतिश्री! इसके पीछे भी वही ‘हिंदू घृणा’ भाव ही तो नहीं जो अरब की कहानी यहाँ प्रत्यारोपित करता है?

Bayes’ theorem बेज का प्रमेय, चिकित्सकों एवं रोगियों पर कुछ

जहाँ चिकित्सक तनावों के बीच मनुष्य बने हुये एक मनुष्य को ‘ठीक’ कर रहा होता है, किसी ‘यंत्र’ को नहीं, सामान्य जन द्वारा भी शिक्षा का अनुप्रयोग अत्यावश्यक है।

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Square Meal दो जून की रोटी, लीची एवं अकाल उगाता मनुष्य

Square Meal दो जून की रोटी – जनसंख्या का पेट भरने हेतु किये जा रहे अंधाधुंध दोहन एवं स्वार्थ के कारण हम अपना मृत्युगीत लिख रहे हैं।

बीज माता राहीबाई Tiny Lamps लघु दीप – 24

विडंबना ही है की सरकार प्रत्येक वर्ष लाखों के अंशदान नवीन शोधार्थियों को देती है परन्तु जो कार्य उनमें से किसी को करना चाहिए वह कार्य एक साधारण किसान स्त्री कर लेती है वह भी किसी प्रायोजित धन के। कुछ दिवस पूर्व ही वृक्ष माता सालूमरदा थिमक्का को पद्मश्री मिला है।

भोजन का सनातन दर्शन एवं आधुनिक मनोवैज्ञानिक शोध : सनातन बोध – 52

भोजन का सनातन दर्शन। क्या अन्य कार्य करते हुए भोजन करने से कोई हानि-लाभ जुड़ा है। आज के व्यस्त जीवन में भागते हुए भोजन करने पर आज का मनोविज्ञान क्या कहता है।