अपरिग्रह एवं Paradox of Choice , सनातन बोध – 26

अपरिग्रह एवं Paradox of Choice : अत्यधिक संचय एवं जहाँ आवश्यक नहीं हो वहाँ भी अधिक से अधिक विकल्पों को एकत्रित कर रखना। वस्तुयें हों या विचार या व्यक्ति – सञ्‍चय एवं आसक्ति। अपरिग्रह से पहले के चार यम कुछ इस प्रकार हैं जो मानों हमें अपरिग्रह की इस अवस्था के लिए सन्नद्ध कर रहे हों।

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps – 8

लघु दीप अँधेरों में : जो उद्योग करने के समय उद्योग न करने वाला, युवा एवं बली हो कर भी आलस्य से युक्त होता है, जिसने उच्च आकांक्षाओं को छोड़ दिया है एवं जो दीर्घसूत्री है, वह आलसी प्रज्ञा के मार्ग को प्राप्त नहीं होता।

आदिकाव्य रामायण से – 28, सुन्‍दरकाण्ड […प्रणष्टं, वर्षेण बीजं प्रतिसंजहर्ष]

काली पुतली, रक्ताभ कोर वाली स्वच्छ सुंदर आँखों की फड़कन का सौंदर्य दर्शाने के लिये आदिकवि ने अद्भुत कोमल प्रभावमयी उपमा का सहारा लिया है – सजल आँखें सरोवर भाँति जिसमें कमल एवं तैरती मछली, सहसा ही चित्र खिंच जाता है। क्षण को शब्दकारा में बन्‍दी बना लेना इसे कहते हैं।

संक्रांति सतुआन बैसाखी से अपर प्रतिरूप Alter Ego तक

प्रत्येक वर्ष प्रतिपदा चै. शु. 1 युगादि नवसंवत्सर आता है, बैसाखी आती हैi देश में विविध नामों से नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। लोग यह प्रश्न भी पूछते हैं कि यह क्या चक्कर है? कुछ पञ्चाङ्ग व पण्डितों को कोसने भी लगते हैं। कोई चक्कर वक्कर नहीं है बल्कि अनेक नववर्ष भारत की प्राचीनता एवं रंग बिरंगे वैविध्य के प्रमाण हैं।

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness – 7

आकाश में बृहस्पति एवं उसके समान पाँचेक अन्य भी हैं, किन्तु अपने विशेष पराक्रम में रुचि रखने वाला शिरमात्र शेष राहु उनसे वैर न करके परम तेजस्वी सूर्य एवं चन्‍द्र को ही ग्रसता है।

Black Kite / Common Pariah Kite, चील। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का कछार, माझा, अयोध्या, फैजाबाद उत्तर प्रदेश, February 10, 2018

Black Kite / Common Pariah Kite चील अकासी

Black Kite Common Pariah Kite चील। जिसे आकाश में उड़ने के कारण ‘अकासी’ भी कहते हैं, भारत की बहुत प्रसिद्ध चिड़िया है। जो हमें रोज अपने घरों के ऊपर उड़ती हुई दिख जाती है। यह लगभग सम्पूर्ण भारत में दिखाई पड़ती है। इस बार आजाद सिंह जी का लेख इसी जानी-पहचानी चिड़िया पर।

विकल्प-मानक-आदर्श , सनातन बोध – 25

विकल्प-मानक-आदर्श सनातन बोध पिछले भाग से आगे पारंपरिक सामाजिक मूल्यों एवं  आधुनिक भौतिक एवं व्यावसायिक मानकों के तुलनात्मक अध्ययन में आधुनिक मान्यताओं की कई भ्रान्तियाँ स्पष्ट होती हैं, यथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सबसे बड़ा सुख मान लेना! व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विकल्पों की अधिक से अधिक उपलब्धि पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डेनियल गिल्बर्ट का रोचक…

भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग

अरुण उपाध्याय जी द्वारा इस लेख में भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग के विषय में आधारभूत जानकारियां बहुत ही सरल शैली में बताई गयी हैं।

Rudy Shelduck, लाल सुरखाब, चकवा। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी की कछार, माझा, अयोध्या, फैजाबाद उत्तर प्रदेश, November 19, 2018

Rudy Shelduck, Brahminy Duck, लाल सुरखाब, चक्रवाक, चकवा

Rudy Shelduck चकवाअत्यंत प्राचीन काल से कवियों की संयोग तथा वियोगसंबंधी कोमल व्यंजनाएँ लिए यह पक्षी मिलन की असमर्थता के प्रतीक रूप में अनेक उक्तियों का विषय रहा है। अंधविश्वास, किंवदंती और काल्पनिक मान्यता से युक्त इस पक्षी की तथाकतित उपर्युक्त विशेषता ने इसे कविसमय तथा रूढ़ उपमान के रूप में प्रसिद्ध कर दिया है।

आदिकाव्य रामायण से – 27, सुन्‍दरकाण्ड [न च मे विहितो मृत्युरस्मिन्दुःखेऽपि वर्तति]

आदिकाव्य रामायण से सुन्‍दरकाण्‍ड : जिनके अन्त:करण वश में हैं, कोई प्रिय या अप्रिय नहीं हैं,उन अनासक्त महात्माओं को नमस्कार है जिन्होंने स्वयं को प्रिय एवं अप्रिय भावनाओं से दूर कर लिया है। प्रीति उनके लिये दु:ख का कारण नहीं होती, अप्रिय से उन्हें अधिक भय नहीं होता।

Presentism सम्प्रतित्व सिद्धांत , सनातन बोध – 24

Presentism सम्प्रतित्व सिद्धांत : एक बाह्य पर्यवेक्षक के रूप में मनोविज्ञान सबसे उत्कृष्ट समझ प्रदान करता है। ये बातें सनातन सिद्धांतों की व्याख्या भर लगती है। उनका यह निष्कर्ष कि यथार्थ का हमारा विवेचन वास्तव में यथार्थ का एक संस्करण भर है, भला अनेकान्तवाद एवं माया के सिद्धांतों से कहाँ भिन्न है?

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness – 6 , Six Sigma

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness : इस कर्मभूमि में जन्म ले कर भी जो धर्माचरण नहीं करता, उसे वेदविद मुनीश्वर सबसे अधम श्रेणी का बताते हैं। यह भारतवर्ष सबसे उत्तम माना जाना चाहिये, सर्वकर्मफलप्रदाता जो देवों को भी दुर्लभ है।

दिक्काल, चिरञ्जीवी हनुमान, ⍍t➛0 एवं हम

दिक्काल : जो उद्योगी एवं लक्ष्य आराध्य समर्पित चिरञ्जीवी हनुमान हैं न, आज उनके जन्मदिवस पर उनसे ही सीख लें। ढूँढ़िये तो अन्य किन सभ्यताओं में दिक्काल को निज अस्तित्व से मापते चिरञ्जीवियों की अवधारणा है?

Sombrero Galaxy, Credit: NASA/Hubble Heritage Team

Unitary Navadurga Galaxy एकल-नवदुर्गा निहारिका

एकल-नवदुर्गा निहारिका Unitary Navadurgā Galaxy : जिज्ञासा का विषय यह है कि दुर्गा के नौ भेदों में क्रम का विशेष उल्लेख क्यों? इन श्लोकों के पश्चात नवदुर्गा जैसे गम्भीर विषय पर सम्वाद भी, बिना निरन्तरता बनाए, बड़े विचित्र रूप से सहसा समाप्त कर दिया जाता है।

श्रीराम जन्मोत्सव रामनवमी (संस्कृत, तमिळ, अवधी हिन्‍दी, मराठी काव्य)

श्रीराम जन्मोत्सव रामनवमी : यह प्रस्तुति अव्यावसायिक है एवं इसका उद्देश्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जन्मोत्सव पर जनरञ्जन मात्र है। कृपया व्यावसायिक उद्देश्य या किसी भी प्रकार के आर्थिक, वस्तु लाभादि के लिये इसका प्रयोग न करें।

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness – 5

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps in darkness : देसी जलवायु में सहस्राब्दियों तक विकसित होने के कारण धान की इन प्रजातियों में भिन्न भिन्न औषधीय गुण पाये जाते हैं।

नवसंवत्सर ‘विरोधकृत’, ऋग्वेद, गुरु एवं शनि का अङ्कगणित, स्टीफेन हॉकिंग Hindu New Year

नवसंवत्सर विरोधकृत, Hindu New Year वर्षा के पश्चात शरद आना ही है, गैलिलियो के पश्चात वैसे ही किसी को आना ही है, कोई आइंस्टीन था तो उसका रूप अब भी होना ही चाहिये! नहीं? समस्या यह भी है कि हम अपने यहाँ आर्यभट भी होना ही चाहिये, कौटल्य आना ही चाहिये; नहीं सोचते। उनके यहाँ संयोग मनाने की दिशा भी भिन्न है।

आदिकाव्य रामायण से – 26, सुन्‍दरकाण्ड […तथाऽहमिक्ष्वाकुवरं रामं पतिमनुव्रता]

आदिकाव्य रामायण : उन जाज्वल्यमान नारियों के उदाहरण सीता ने दिये, जो भार्या मात्र नहीं रहीं, अपने सङ्गियों के साथ प्रत्येक पग जीवनादर्शों हेतु संघर्षरत रही थीं। ऐसा कर मानुषी सीता ने भोग एवं भार्या मात्र होने के प्रलोभन की तुच्छता स्पष्ट कर दी थी।

Frequency Illusion आवृत्ति भ्रान्ति : सनातन बोध – 23, Baader-Meinhof Phenomenon

Frequency Illusion आवृत्ति भ्रान्ति : पहला, चयनित ध्यान (selective attention) जब हम किसी नयी बात पर अटक जाते हैं तब अवचेतन मन उस वस्तु को ढूँढ़ता रहता है। दूसरा, पुष्टिकरण पक्षपात (confirmation bias) जिससे हर बार उस वस्तु के दिखने पर इस भ्रम की पुष्टि होती है कि अत्यल्प काल में ही वह बात सर्वव्यापी हो गयी है।

Large Pied Wagtail, White-Browed Wagtail, ममोला खञ्जन, चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सुहेलवा, पूर्वी बालापुर गाँव, राजा सुहेलदेव वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, निकट नेपाल सीमा, जिला श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश, February 03, 2018

Large Pied Wagtail, White-Browed Wagtail, ममोला खञ्जन

ममोला खञ्जन बहुत ही परिचत पक्षी है जो देश छोड़कर नहीं जाता है। यह पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर लगभग हर जगह तथा हिमालय में ५००० फ़ुट की ऊँचाई तक पाया जाता है। खंजन बहुत ही चंचल, मीठी बोली वाला और मनमोहक पक्षी है। इसका कवियों ने भी समय-समय पर अपने काव्य में वर्णन किया है। ममोला खंजन, सफ़ेद खंजन से थोडा बड़ा होता है।