Born 1952 at Ara,
M.Sc. (Physics, Forestry, Math)
Private study of vedas and laukik Sanskrit. Author of books on Astronomy and vedic science. About 80 papers is journals.
समाज के एकीकरण के लिये भारत में ४ राष्ट्रीय पर्व हैं – होली, दुर्गापूजा, दीपावली एवं रक्षा-बन्धन। समाज में व्यवसायों की उन्नति के लिये भी ४ वर्ण थे – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्म विभागशः (गीता, ४/१३)
त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् । उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान्मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ मामृता॑त् ॥ तीन अम्बक वाले (सूर्य, चन्द्र, अग्नि नेत्र वाले, या जिसकी अम्बिका स्त्री हैं) की पूजा करते हैं, जो सुगन्ध या दिव्य गन्ध युक्त है तथा पुष्टि साधनों की वृद्धि करता है। जैसे ककड़ी का फल पकने पर स्वयं टूट जाता है, उसी प्रकार मृत्यु द्वारा शरीर से मुक्त हो जायेंगे, पर अमृत से हमारा सम्बन्ध नहीं छूटता।
ऋग्वेद के प्रथम सूक्त के दो शब्दों का व्यवहार केवल तमिल-तेलुगू में होता है – दोषा = रात, वस्ता = दिन। इसकी वृद्धि कर्णाटक में हुयी।
सुपर्ण गरुड़। गरुड़ या सुपर्ण के अनेक रूप वेदों में वर्णित हैं। यह परब्रह्म का स्वरूप है जिसे अनेक अन्य नामों से भी कहते हैं।
योग में क्रमशः उन्नति के ६ या ८ स्तर कहे गये हैं। उसी का आन्तरिक रूप तन्त्र में मेरुदण्ड तथा उसके ऊपर मस्तिष्क के षट् चक्रों का भेदन है।
‘अनन्ता वै वेदाः’, वेदों में ४ प्रकार के अनन्तों की चर्चा है
शक के विभिन्न अर्थ-मन्त्रों के प्रसंग (संस्था) या विनियोग के अनुसार अर्थ होंगे।
तीर्थंकर युधिष्ठिर की ७ पीढ़ी पश्चात सरस्वती नदी सूख गयी तथा गंगा की अप्रत्याशित बाढ़ में हस्तिनापुर बह गया एवं पाण्डव राजा निचक्षु कौसाम्बी आ गये।
अरुण उपाध्याय जी द्वारा इस लेख में भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग के विषय में आधारभूत जानकारियां बहुत ही सरल शैली में बताई गयी हैं।
उपनयन की पद्धतियों के ४ भाग दीखते है। विद्यारम्भ, वेदारम्भ, ब्रह्मचर्य व्रत, उपनयन। (१) विद्यारम्भ इसका एक लौकिक रूप है- खली छुआना। खली से स्लेट पर लिखते हैं। सबसे पहले वर्णमाला सीखते हैं। देवों का चिह्न रूप में नगर देवनागरी लिपि है। इसमें ३३ देवों के चिह्न क से ह तक स्पर्श वर्ण हैं। १६ स्वर मिलाने…