सा प्रकाश्या सदा बुधैः
इन्द्र तथा उपेन्द्र ने परस्पर मिल कर जाने कितनी लीलायें रचीं हैं, न जाने कितने काण्ड लिखे हैं। न जाने कितने आख्यान हैं दोनों के, जिनमें इनके परस्पर सहयोग से देवजाति तथा सम्पूर्ण सृष्टि एवं मानवता का कल्याण हुआ। इतना अवश्य है, कि इन्द्र इन्द्र ही रहे, किन्तु उपेन्द्र ने अनगिन रूप धारे।