यः ज्ञः एन कल्पन्ताम् – ललित और गणित का घालमेल

यः ज्ञः एन कल्पन्ताम् – ललित और गणित का घालमेल या कुछ और भी?

प्रश्न तो यह उठना चाहिये कि क्या वैदिक ऋषि इन मन्त्रों द्वारा गणित के एक महत्वपूर्ण सूत्र को व्यक्त करने हेतु, भाषा गणित की और शैली ललित की, चुन कर अपनी संततियों को अपने ज्ञान के आगार के रहस्यमय तालयन्त्र की कोई गुप्त कुञ्चिका दे गया था जिसे उसकी संततियों ने अज्ञानवश, प्रमादवश, अविश्वासवश, या काल के क्रम में कहीं खो दिया?

पाव पौना सवा डेढ़ ढाई साढ़े षोडशी ललिता त्रिपुरसुन्दरी सिनीवाली उत्पत्ति व्युत्पत्ति

पाव पौना सवा डेढ़ ढाई साढ़े षोडशी ललिता त्रिपुरसुन्दरी सिनीवाली उत्पत्ति व्युत्पत्ति

यद्यपि भारतीय गणना-पद्धति प्रारम्भ से ही दाशमिक प्रणाली आधारित रही है तथापि भारतीय गणना-कर्म में षोडश पद्धति का भी बहुत प्रचलन रहा है। षोडश पद्धति अर्थात् सोलह को आधार (base) मान कर की जाने वाली गणना। प्राचीन भारत में शास्त्रीय गणित भले दस के गुणक में चले, व्यवहार गणित तो चार, आठ, सोलह, बत्तीस की शैली में ही चला करता था जो परम्परा अभी भी पूर्णतः समाप्त नहीं हुई है।