Ecological and environmental role to Monotheism and Polytheism of Anthropologies

स्वर्ग व दैवत मत परिवेशजन्य : सनातन बोध – ९०

नृविज्ञान में १९६० से प्रारम्भ हुए शोधों में एक रोचक सिद्धांत यह निकला कि मरुभूमि तथा शस्य-श्यामला धरती वाले वर्षा-वन में रहे पूर्वज वाले मानवों की धार्मिक तथा सांस्कृतिक मान्यताएँ भिन्न होते हैं। वैश्विक स्तर पर एकेश्वरवाद प्रसार वैविध्य की दृष्टि से अपेक्षतया संकेंद्रित है जोकि मरुस्थली पशुचारियों में व्यनुपाती रूप से अधिक पाया जाता है, जबकि वनप्रांतर में रहने वालों के असामान्य रूप से बहुदेववादी होने की सम्भावना अधिक रहती है।

पीड़ित मानसिकता (victimhood mindset) : सनातन बोध

पीड़ित मानसिकता (victimhood mindset) : सनातन बोध – ८८

पीड़ित मानसिकता (victimhood mindset) – तीन मुख्य भ्रांतियाँ उत्तरदायी – विवेचन, आरोपण तथा स्मृति भ्रांति।
पीड़ित मानसिकता (victimhood mindset) एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपनी अवस्था के लिए स्वयं के स्थान पर अन्य व्यक्तियों को उत्तरदायी मानता है। विफल अंतर्वैयक्तिक सम्बन्धों के परिणाम में यह एक महत्त्वपूर्ण मानसिक अवस्था है, यथा आधुनिक समय में सम्बंधों में विफलता के लिए स्वयं के स्थान पर अपने साथी को पूर्णरूपेण उत्तरदायी बताना।

Do Animals have Moral मानवेतर जीव-चेतना

Do Animals have Moral मानवेतर जीव-चेतना? : सनातन बोध – ७८

क्या अन्य जीवों को भी अनुभूति होती है? क्या वो भी सोच पाते हैं? ये प्रश्न या तो अन्य परम्पराओं में उठे ही नहीं या इनका उत्तर सकारात्मक नहीं रहा। वहीं इन प्रश्नों का उत्तर सनातन दर्शन में सहज ही स्पष्ट है।

Negativity bias Good Company सत्संग

Negativity bias Good Company सत्संग : सनातन बोध – ६९

Negativity bias Good Company सत्संग वर्ष २००५ में रिव्यू ऑफ जनरल साइकोलोज़ी में छपे शैली गेबल और जोनाथन हैडट के एक शोध पत्र के अनुसार सामान्यतः हमें नकारात्मक से तीन गुना अधिक सकारात्मक अनुभव होते हैं। यह शोध पढ़ते हुए मन में स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि यदि ऐसा है तो क्यों हम बहुधा अपने…