Phishing ठगी छल-योजनादि : सनातन बोध – ८९
Phishing ठगी छल-योजनादि – अज्ञानवश पतङ्ग दीपक की लौ में अपने को भस्म कर लेता है। स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो, बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।
फ़िशिंग अर्थात् अन्तर्जाल पर कुशलतापूर्वक निर्मित छलयोजना से किसी व्यक्ति की मानसिक अवस्था को इस प्रकार साधित करना जिससे प्रभावित होकर वह अपनी गुप्त जानकारी, धन, प्रिय वस्तु इत्यादि गँवा बैठे। सुनने में ऐसा प्रतीत होता है मानो विरले कोई मूर्ख ही ऐसा करता होगा परंतु आश्चर्यजनक रूप से आधुनिक युग में भी ठीक ऐसी ही योजनाएँ चलती हैं जिनमें फँसने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रतिदिन लाखों में है।