Mahāmṛtyuñjaya Mantra महामृत्युञ्जय मंत्र
त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् । उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान्मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ मामृता॑त् ॥ तीन अम्बक वाले (सूर्य, चन्द्र, अग्नि नेत्र वाले, या जिसकी अम्बिका स्त्री हैं) की पूजा करते हैं, जो सुगन्ध या दिव्य गन्ध युक्त है तथा पुष्टि साधनों की वृद्धि करता है। जैसे ककड़ी का फल पकने पर स्वयं टूट जाता है, उसी प्रकार मृत्यु द्वारा शरीर से मुक्त हो जायेंगे, पर अमृत से हमारा सम्बन्ध नहीं छूटता।