शून्य

१२०२ ई. में फिबोनाची ने ‘लिबेर अबाचि’ अर्थात ‘गणना की पुस्तक’ की रचना की। यह भारतीय अंक पद्धति से यूरोप का पहला परिचय था। फिबोनाची ने इस पुस्तक में मोडस इंडोरम – यानी भारतीय पद्धति का उल्लेख किया।