हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन फ्रॉड में ग्राहकों की सुरक्षा हेतु बैंकों की जिम्मेदारी बढ़ाते हुए दिशा-निर्देश (RBI Limiting Liability Customers )जारी किया हैं।
क्या आप जानते हैं जितनी भी बार आप अपना डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड या फिर इंटरनेट बैंकिंग अकाउंट उपयोग में लाते हैं उतनी ही बार आप हैकर या फ्रॉड करने वालों के निशाना बनने की संभावना में रहते हैं। कुछ अनाधिकृत वित्तीय व्यवहारों (Transaction ट्रांजैक्शन ) की शिकायतों की सुनवाई करते समय हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने यह कहा है।
सन 2016 में बहुत से बैंकों ने कई बार डाटा ब्रीच (Breach) की शिकायत दर्ज करवाई है, खासकर डेबिट कार्ड और एटीएम कार्ड के मामलों में यह शिकायद दर्ज हुई हैं। यहाँ तक कि वर्ष 2013 में भी कई बैंकों ने कई बार डेटा ब्रीच की शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें अधिकतर भारतीय क्रेडिट कार्ड विदेशों की वेबसाइट पर खरीददारी के उपयोग में लाए गए थे। आज भी ऑनलाइन फ्रॉड के ट्रांजैक्शन पता ही नहीं चलते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शंस ना करें।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को निर्देश देते हुए कहा है कि ग्राहक के इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को और ज्यादा सुरक्षित करना बैंक की जिम्मेदारी है। इस निर्देश में भारतीय रिजर्व बैंक ने साफ-साफ लिखा है कि अगर कोई भी अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग ट्रांजैक्शन होता है, तो उसके लिए Bank जिम्मेदार होगा।
तो आइए हम इसका मतलब समझते हैं।
तत्काल प्रतिक्रिया
मान लीजिए आपको अपने मोबाइल पर बैंक का एक मैसेज मिला कि ₹25000 आपके अकाऊँट से निकल गए हैं, जबकि वह ट्रांजैक्शन आपने किया ही नहीं है, आप तत्काल क्या करेंगे? बैंक को फोन करेंगे, ईमेल भेजेंगे या फिर शायद पास की ब्रांच में जाकर शिकायत दर्ज करवा देंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार अब बैंकों को फ्रॉड ट्रांजैक्शन की शिकायत करने के लिए और भी तरीके उपलब्ध करवाने होंगे। जिससे कि फ्रॉड ट्रांजैक्शन की ग्राहक जल्दी से जल्दी शिकायत कर सकें। जैसे कि आजकल ट्रांजैक्शन के बाद आपको एकदम से SMS आ जाता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक चाहता है कि उसी SMS को ग्राहक रिप्लाई कर सके। तो आप जल्दी ही SMS या ईमेल अलर्ट जो बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं और अगर वह ट्रांजैक्शन फ्रॉड है, तो वह आप जल्दी ही उसका रिप्लाई कर पायेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को यह भी कहा है कि एक सीधा लिंक भी उपलब्ध करवाया जाए, जिससे कि किसी भी ग्राहक को अगर शिकायत करनी हो, तो वह सीधे उस लिंक पर जाकर शिकायत कर दे और यह लिंक सीधे बैंक की वेबसाइट के होम पेज पर अलग से देखना चाहिये। अभी यह सुविधा किसी भी बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।
अगर आपको किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करवाना होती है तो आपको वेबसाइट पर जाकर बहुत ढ़ँढना पड़ता है। रिजर्व बैंक ने अपने निर्देशों में कहा है कि ग्राहक को इस तरह की असुविधा का सामना ना हो, इसलिए यह कदम उठाना जरूरी है। भारतीय रिजर्व बैंक चाहता है कि सभी बैंक अपनी कोर बैंकिंग टीम के साथ बैठकर कुछ इस तरह का सॉफ्टवेयर डेवेलप करें जिससे अगर ग्राहक कोई भी शिकायत दर्ज करवाता है, तो उसके खाते में यह दर्ज हो जाये। बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक को कहा है कि सॉफ्टवेयर के बदलाव के लिए उन्हें थोड़ा समय चाहिये।
समय से शिकायत करें
फ्रॉड होने की दशा में सबसे पहला कदम शिकायत करना होता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने समय से शिकायत संबंधित भी निर्देश दिये हैं, बैंकों ने कहा है कि अभी भी शिकायत करने के तरीके मौजूद हैं। लेकिन किसी भी शिकायत के निवारण की समय सीमा उपलब्ध नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्देश दिया है कि शिकायत के निवारण के लिये एक समय सीमा होनी चाहिये। साथ ही बैंक को ग्राहक की और अपनी दोनों की जिम्मेदारी भी साफ तौर पर दिखानी चाहिये।
अगर कोई अनाधिकृत ऑनलाईन इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन जो कि आपने नहीं किया है, वह आपके खाते में हो जाता है, तो उसके लिए सीधे बैंक ही जिम्मेदार है। यहाँ तक कि अगर ग्राहक इस फ्रॉड की शिकायत बैंक को नहीं भी करता है। इस दशा में ग्राहक की जिम्मेदारी उस अनाधिकृत फ्रॉड ट्रांजेक्शन के लिये बिल्कुल भी नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि बैंक को फ्रॉड की गई रकम की भरपाई अपनी जेब से करनी होगी। अधिकतर बैंकें फ्रॉड अटैक के लिए बीमा लेती हैं जैसे की स्किमिंग (skimming) इत्यादि जिससे ग्राहक की लायबिलिटी बहुत कम हो जाती है, अगर वह समय पर शिकायत कर देता है।
अगर थर्ड पार्टी के कारण कहीं सुरक्षा में चूक होती है जहाँ पर ना तो बैंक जिम्मेदार है और ना ही ग्राहक। लेकिन अगर ग्राहक तीन कार्यकारी दिनों में बैंक को शिकायत कर देता है, तो ग्राहक की उस फ्रॉड ट्रांजैक्शन के प्रति जिम्मेदारी बिल्कुल नहीं होगी। लेकिन अगर ग्राहक तीन कार्यकारी दिनों के बाद 4 से 7 कार्यकारी दिनों में शिकायत दर्ज करता है जो कि बैंक द्वारा सूचित करने के बाद होता है, तो ग्राहक की जिम्मेदारी (Liability) बहुत ही कम होती है। लिमिटेड लायबिलिटी मतलब की जो फ्रॉड हुआ है उससे आपको कुछ वित्तीय नुकसान हो सकता है। पर अगर 7 दिन के बाद शिकायत दर्ज करवाई तब क्या होगा? इस तरीके की शिकायतों में बैंक निर्णय लेगा कि क्या करना है। लेकिन यह नियम अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग होंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि इस तरीके के सारी जानकारी पब्लिक डोमेन में दी जाए और विज्ञापन करके भी बताई जाये। साथ ही हर एक खाताधारक को व्यक्तिगत रुप से इस बात की जानकारी दी जाये। यह समय सीमा उसी दिन से शुरू हो जायेगी, जिस दिन शिकायत दर्ज करवाई गई है और कामकाजी दिनों को जिस शाखा में आपका खाता है, उसके कामकाजी दिनों के हिसाब से गिना जायेगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने यह भी निर्देश दिए हैं कि एक बार शिकायत दर्ज हो जाने के बाद 90 दिनों के भीतर उस शिकायत का निवारण होना ही चाहिए।
दायित्व
फ्रॉड ट्रांजेक्शनों की शिकायत में जहाँ आप बैंक के साथ वित्तीय घाटा उठाते हैं, मतलब कि यहाँ आपकी लिमिटेड लायबिलिटी होती है, क्योंकि आपने शिकायत देरी से दर्ज करवाई है। लेकिन ध्यान रखें अगर गलती ग्राहक के कारण हुई है, तो जो भी वित्तीय नुकसान हुआ है और जिसकी शिकायत बैंकों की गई है, उसका पूरा नुकसान ग्राहक को ही उठाना होगा। जैसे कि अगर आपने अपना पिन या पासवर्ड किसी और के साथ शेयर कर लिया और पैसा चोरी हो गया तो इस केस में पूरे वित्तीय नुकसान आपको ही उठाना होगा। लेकिन एक बार अगर ग्राहक ने इस प्रकार की शिकायत कर दी और उसके बाद फिर से कोई फ्रॉड ट्रांजैक्शन हुआ तो उस ट्रांजेक्शन की जिम्मेदारी बैंक की होगी।
लिमिटेड लायबिलिटी का मतलब है ₹5000 से ₹25000 तक की वित्तीय हानि। तो रकम निर्भर करती है कि आप किस प्रकार का खाता उपयोग कर रहे हैं, जैसे की अगर आपका बचत खाता है तो लाइबिलिटी ₹5000 तक की रखी गई है और अन्य प्रकार के बचत खातों में या फिर प्रीपेड उत्पाद, गिफ्ट कार्ड, क्रेडिट कार्ड जिनकी लिमिट 5 लाख रूपये तक है तो उनके लाइबिलिटी ₹10,000 तक रखी गई है। लेकिन अगर आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख रूपये से ज्यादा है, तो लाइबिलिटी ₹25000 तक वहन करना होगी।
लेकिन उस रकम का क्या होगा जिस का नुकसान फ्रॉड ट्रांजैक्शन के कारण हुआ है? एक बार अगर आपने बैंक को शिकायत कर दी तो बैंक को उतनी रकम आपके खाते में 10 कार्यकारी दिनों के अंदर जमा करनी होगी। यह 10 कार्यकारी दिन उसी दिन से शुरू हो जायेंगे जिस दिन आपने बैंक को शिकायत दर्ज करवाई है। अगर फ्रॉड डेबिट कार्ड या बैंक अकाउंट से हुआ है तो यह भी निर्देश दिए गये हैं कि ग्राहक को इतने दिनों का ब्याज का नुकसान नहीं होना चाहिए और अगर क्रेडिट कार्ड में फ्रॉड हुआ है तो ग्राहक को किसी भी तरह के अतिरिक्त ब्याज को नहीं भरना होगा।
आपको क्या करना चाहिये
अगर हमारे जीवन में कुछ नया करने पर हम असफल होते हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि हम नये कार्य करना छोड़ देते हैं, बल्कि अपने असफल कार्यों से सीखकर नये कार्य में सावधानी और अतिरिक्त सुरक्षा बरतते हैं और कुछ नियम भी बनाते हैं, जिससे असफल होने के परिस्थिति का सामना न करना पड़े। उसी प्रकार से अपने आप को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के फ्रॉड से बचने के लिए हमें अतिरिक्त सुरक्षा रखनी होगी।
आप यह कैसे करेंगे? अगर आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन या कार्ड को स्वाइप कर रहे हैं तो आपको SMS और ईमेल अलर्ट के लिए पंजीकृत करना चाहिये, यह सबसे सरल तरीका है। अगर आपके खाते में कोई भी ट्रांजैक्शन होता है तो उसकी जानकारी तत्काल ही SMS या ईमेल अलर्ट से आपको मिल जाती है और आप तत्काल ही अपने बैंक को शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
जब आप बैंक को शिकायत दर्ज करवाते हैं बैंक समय और दिनाँक जिसे की टाइमस्टांप कहा जाता है, वह भी दर्ज करती हैं। जो कि आपकी लाइबिलिटी कितनी होगी, बाद में यह निर्णय लेने के लिए काम आती है। तो आपका दायित्व है कि आप की तरफ से शिकायत करने में देरी ना हो। जब भी आपके मोबाइल पर SMS आये तो तत्काल उसको देख लें, कि कहीं बैंक से तो कोई SMS नहीं है। आप किसी भी SMS को नजरअंदाज न करें, इसके लिये आपको भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
सन्दर्भ:
Customer Protection – Limiting Liability of Customers in Unauthorised Electronic Banking Transactions
https://www.rbi.org.in/scripts/NotificationUser.aspx?Id=11040
https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/NOTI15D620D2C4D2CA4A33AABC928CA6204B19.PDF
कुल मिलाकर तकनीक इस्तेमाल करें लेकिन एकदम चौकन्ना रहकर!