अद्य नवसंवत्सर पर्वः अस्ति तर्हि संवत्सर ज्ञानं अपेक्षते वा ? आम् ? सम्यक् अस्ति।
सामान्यतया अस्माकं भारत देशे कार्यालयेषु, वित्तकोषेशु , विद्यालयेषु सामान्यजनाः व्यवहारे ख्रीष्ट वर्षपदः उपयुज्यते। अयं ख्रीष्ट वर्षपदः वस्तुतः पोप ग्रेगरी१२ महाभागात् प्रवर्तयत स्म तर्हि ग्रेगोरिअन दिनदर्शिका नाम्ने प्रसिद्धा जाता। अयं वर्षपदः नाति प्राचीनः अपितु १५८२ ख्रीष्टाब्दे प्रस्ताविता अभवत्। अयं वर्षपदः सूर्यस्य परितः पृथिव्याः परिक्रमणे अधारितः अतः सूर्य वर्षपदः। एक सौरवर्षे ३६५ दिवसाः तथा कतिचन घन्टानि भवन्ति। लौकिकतया अधुना २०१७ ख्रीष्टाब्दः चलति। ख्रीष्ट दिनदर्षके वारः दिनाङ्कः च द्वौ अङ्गौ कल्पितवतौ।
परन्तु ग्राम्य व्यवहारे, शस्य कृषिकर्मणे, धार्मिक कर्मकाण्डे, व्यापारिक विनिमये च भारतीय विक्रम संवत्सरस्य मान्यता अस्ति। विक्रमसंवत्सरोऽयं उज्जयिन्याः चक्रवर्ती सम्राट महाराज विक्रमादित्यस्य शकक्षत्रपाणामुपरि विजयोपलक्ष्ये प्रारम्भ अभवत्। भारतीय दिनदर्षकः पञ्च अङ्गकः अतः भारतीय पन्चाङ्गः नाम्नेन प्रसिद्धः। पञ्चाङ्गस्य पञ्च अङ्गानि एतानि – तिथिवारनक्षत्रकरणयोगश्च। प्रत्येक दिवसे कश्चित् तिथिः, कश्चित् वारः, कश्चित् नक्षत्रः, कश्चित् योगः करणश्च भविष्यति इति सूचनां क्षणेनैव प्राप्तुं शक्नुमः भारतीय पञ्चाङ्गात्। प्रायः प्रत्येक योगे (कस्मिन् २-३ अङ्गानां संयोजने) कतिपय विशिष्ट स्थिति भवति तथोपरि कश्चित् धार्मिक कृत्य, वातावरणः (शीतः, उष्णः, वर्षा) निर्दिष्टा। अस्य विक्रमसंवत्सरस्य प्रारम्भः ५६ ई.पू. तमे वर्षे जातः, अद्य विक्रम संवत २०७४ प्रारम्भः अभवत् अयं साधारण नाम संवत्सरः। आम् प्रत्येकस्य संवत्सरस्य नामः अपि भवति। भारतीय पञ्चाङ्गः सूर्यचन्द्रयोर्गतिराधारेण निर्मितः तिथ्यादि चन्द्राधारितः तथा वर्षमानः सूर्याधारेण चलति।
भारतसर्वकारेण मान्यताप्राप्त शकसंवत्सरः अपर नामः शालिवाहन शक संवत्सरः भारतीय राष्ट्रिय दिनदर्शकः। अस्य प्रारम्भः ७८ ई. वर्षे जातः तथा वर्तमाने शकवर्षः १९३९ प्रचलति। भारतसर्वाकारेण राजपत्र, अधिसूचना, सूचना प्रकाशने शकसंवत्सरस्यैव प्रयोगः क्रियते। वित्तकोषाः अपि शकसंवत्सर लिखिता धनादेशः स्वीक्रियन्ते।
विभिन्न भारतीय वर्षमानाः निम्नलिखिताः सन्ति –
सृष्टितो गताब्दाः – १९५५८८५११८
श्री राम-रावण युद्धतो गताब्दाः – ८८०१५९
श्रीकृष्णावतारतो गताब्दाः – ५२४३
गत कलियुग वर्षाणि – ५११८
विक्रम संवत्सर – २०७४
शालिवाहनशक संवत्सर – १९३९
अनुवाद : यह नवसंवत्सर
आज नवसंवत्सर पर्व है तो क्या संवत्सर के बारे में जानें ? हाँ ? तो ठीक है।
सामान्यतया हमारे भारत देश में कार्यालयों, बैंकों, विद्यालयों में सामान्यजन व्यवहार में क्रिश्चियन कैलंडर का प्रयोग करते हैं। यह कैलंडर वस्तुतः पोप ग्रेगोरी 12 द्वारा चलाया गया था इसीलिये यह ग्रेगोरियन कैलंडर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। यह कैलंडर बहुत पुराना नहीं है अपितु वर्ष १५८२ में प्रस्तावित हुआ था। यह कैलंडर पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने पर आधारित है अतः सूर्य कैलंडर है। एक सौर वर्ष में ३६५ दिन और कुछ घंटे होते हैं। लौकिक गणना से अब २०१७ ग्रेगोरियन वर्ष चल रहा है। ग्रेगोरियन कैलंडर में दिन और दिनांक दो अंग कल्पित हैं।
परन्तु ग्रामीण व्यवहार में, फसल और खेती के काम में, धार्मिक कर्मकांड और व्यापारिक सौदों में भारतीय विक्रम संवत्सर की मान्यता है। यह विक्रम संवत्सर उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट महाराज विक्रमादित्य द्वारा शक छत्रपों पर विजय के उपलक्ष्य में प्रारम्भ हुआ था। भारतीय कैलंडर पांच अंगों वाला है अतः यह भारतीय पञ्चांग के नाम से प्रसिद्ध है। पञ्चांग के पांच अंग ये हैं – तिथि, वार, नक्षत्र, कारन और योग। प्रत्येक दिन कोई तिथि, कोई वार, कोई नक्षत्र, कोई योग और करण होगा इसकी सूचना क्षणमात्र में भारतीय पञ्चांग से पता लग सकती है। प्रायः प्रत्येक योग (किन्हीं 2-3 अंगों के मिलने से) कोई विशिष्ट स्थिति होती है और उसके अनुसार कोई धार्मिक कृत्य, वातावरण (सर्दी, गर्मी, बारिश) का निर्देश है। इस विक्रम संवत्सर का प्रारम्भ ५६ ई.पू. वें वर्ष में हुआ था, आज विक्रम संवत्सर २०७४ प्रारम्भ हुआ है, इस संवत्सर का नाम साधारण है। हाँ, प्रत्येक संवत्सर का नाम भी होता है। भारतीय पञ्चांग सूर्य-चन्द्रमा की गति के आधार पर निर्मित है, तिथि आदि चन्द्रमा की गति पर और वर्ष सूर्य के आधार पर चलता है।
भारत सरकार से मान्यताप्राप्त शकसंवत्सर और दूसरा नाम शालिवाहन शक संवत्सर भारतीय राष्ट्रीय कैलंडर है। इसका प्रारम्भ ७८ ई. वें वर्ष में हुआ था तथा वर्त्तमान में शक्वर्ष १९३९ चल रहा है। भारत सरकार राजकीय गजट, अधिसूचना, सूचना प्रकाशन करने में शक संवत्सर का ही प्रयोग करती है। बैंक भी शक संवत्सर लिखे चेक स्वीकार करते हैं।
विभिन्न भारतीय वर्षों के मान निम्नलिखित हैं –
सृष्टि से गत वर्ष – १९५५८८५११८
श्री राम-रावण युद्ध से गत वर्ष – ८८०१५९
श्रीकृष्णावतार से गत वर्ष – ५२४३
कलियुग के गत वर्ष – ५११८
विक्रम संवत्सर – २०७४
शालिवाहनशक संवत्सर – १९३९
लेखक: अलंकार शर्मा शिक्षा: गणित स्नातक, स्नातकोत्तर कंप्यूटर विज्ञान, आचार्य – फलित ज्योतिष संयोजन: पं. बैजनाथ शर्मा प्राच्य विद्या शोध संस्थान का कार्यभार सम्पादक: प्राच्य मञ्जूषा |