वैज्ञानिक नाम: Dendrocitta vagabunda
हिन्दी नाम: मुटरी, टकाचोर, महालात, महताब, चाँद, महलाट, भेरा (मराठी)
संस्कृत नाम: करायिका
अंग़्रेजी नाम: Rofous Treepie (Indian Treepie)
चित्र स्थान और दिनाङ्क: सरयू का कछार, अयोध्या फैजाबाद, उत्तर प्रदेश, 28/05/2017
छाया चित्रकार (Photographer): आजाद सिंह
Kingdom: Animalia
Phylum: Chordata
Class: Aves
Order: Passeriformes
Family: Corvedae
Genus: Dendrocita
Species: vagabunda
Category: Perching bird पेड़ पर रहने वाली चिड़िया
Wildlife schedule: IV
Visibility: सामान्य Common
वितरण और आवास:
टकाचोर प्रवासी भारतीय पक्षी है जो पाकिस्तान, बँगलादेश में भी पाया जाता है, श्री लंका में नहीं पाया जाता। मुटरी हमारे देश में प्रायः सभी स्थानों पर पाई जाती है| हिमालय में 7000 फुट की ऊँचाई तक पाई जाती है। जंगल, उद्यान आदि स्थानों में रहने वाली यह चिड़िया मानव बस्ती में आती जाती रहती है। इसे घने वन प्रिय नहीं हैं। लम्बी दुम के कारण यह पेड़ों पर ही रहती है और प्राय: जोड़े में दिखती है। यह बहुत ही लजालु चिड़िया है इसलिये प्राय: पेड़ों की पत्तियों में छुपी रहती है, चित्र लेना कठिन होता है।
आकार और आहार:
टकाचोर लगभग 45 से 55 सेंटीमीटर आकार का पक्षी है जिसकी दुम 30 सेंटीमीटर तक लम्बी हो सकती है सिरे की ओर जाते जाते पतली हो जाती है। नर और मादा एक जैसे होते हैं। इसके सिर, गले और सीने का रंग कल्छौंह भूरा और बाकि शरीर का भाग कत्थई भूरा होता है, पीठ का रंग गाढ़ा और पेट का रंग उससे कुछ तनु होता है। इसकी आँख की पुतली ललछौंह भूरी, चोंच धूसर और पैर गाढे भूरे होते हैं।
यह कौवे की तरह सर्वभक्षी होता है। फल फूल ,कीड़े मकोड़े, छिपकली, छोटे सााँप, चिड़ियों के अंडे एवं बच्चे, चूहे आदि सब कुछ खा जाता है।
प्रजनन:
यह प्राय: जोड़ें में तथा कभी कभी झुण्ड में भी दिखती हैं। लम्बी दुम के कारण उड़ने में मुश्किल होती है इसलिए ये 2-4 बार हवा में पंख मरकर उसी के सहारे तैरती हुई चली जाती हैं। इनका घोसला बनाने का काल अप्रैल से जुलाई तक होता है। यह अपना घोसला किसी पेड़ की सबसे ऊंची शाखा के दोफंकी दल पर बनाती है। घोसला कटोरे की तरह होता है जिसे घास फूस से बनाया जाता है।
मादा एक बार में 4-5 अंडे देती है जो अंडाकार और कुछ नुकीले होते हैं। अण्डों का आकार लगभग 1.17×0.85 इंच होता है। अण्डों का रंग एक जैसा नहीं होता, कुछ हलके हरे रंग के होते हैं जिनपर भूरी,,कत्थई या बैगनी रंग की चित्तियाँ पड़ी होती हैं और कुछ प्याजी रंग के जिनपर ललछौंह, गाढ़ी भूरी और गाढ़ी बैगनी चित्तियाँ तथा बिंदियाँ होती हैं। नर और मादा दोनों ही मिलकर घोसला बनाने से लेकर बच्चों को खिलाने तक का काम करते हैं।