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नेटन ऑल्टरमैन
और धरा थमती जाती है,
अम्बर का रक्ताभ नयन भी शांत हो रहा
धूम्राच्छादित सीमा पर जाकर राष्ट्र उठा जब,
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सावधान मुद्रा में स्थित,
लगते मुक्त मरण- जीवन से
अश्रु और विस्मय से भरकर
राष्ट्र अगर परिचय माँगेगा
शांतभाव से यही कहेंगे,
“राष्ट्र यहूदी जहाँँ परोसा, चाँदी के थाल वही हैं”
धुंध से आकर धुंध में जाकर,
छाया में छाया फिर वापस
शेष कथा पौराणिक होकर,
याद करेगी – था इज़राइल
नथन आल्टरमन (1967 – 2026 वि.), एक इज़राइली साहित्यकार थे। 2004 वि. (15/12/1947 ई.) को संयुक्त राष्ट्र संघ ने पैलेस्टाइन को विभाजित कर इज़राइल राष्ट्र की स्थापना करने का निर्णय लिया तो यह कहा गया कि ‘The state will not be given to the Jewish people on a silver platter’. इज़राइल की स्थापना न तो तब सरल समझी गई और न वास्तव में रही। शत्रुता के ऐतिहासिक कूड़े को माथे पर ढोते द्रोही पड़ोसियों से घिरे इस छोटे से देश ने अपनी सफलता के साथ समय की प्रस्तर भित्ति पर एक स्वर्णिम रेखा खींच दी। जाने कितने संघर्षों को इज़राइलियों का संघर्ष प्रेरणा देता रहा है और रहेगा।
आल्टरमन नवसृजित इज़राइल में बसने वाले पहले लोगों में थे और उपर्युक्त कथन से प्रेरणा ले अपनी प्रसिद्ध कविता ‘silver platter’ का सृजन किये। यह कविता नवोन्मेष और नवसृजन के लिये तप की उत्प्रेरक तो है ही, आक्रांता जिहादियों द्वारा धीरे धीरे निगली जा रही सभ्यताओं के लिये सचेतक भी है। कविता का भावानुवाद अनुराग शर्मा ने किया है। मूल हिब्रू पाठ नीचे दिया गया हैै :