एक बेहतरीन किस्सागो, कवि और विचारक अनुराग शर्मा की कथाएँ पाठकों को अपनी अंतिम पंक्ति तक बांधे रहने में सक्षम है। उनकी कहानी पढ़ते हुए अक्सर पाठक को निजी संस्मरण की अनुभूति होती है। एक पूर्णतः अप्रत्याशित अंत उनके कथालेखन की विशेषता है।
उत्तरप्रदेश में जन्मे अनुराग पढ़ाई और कामकाज के सिलसिले में भारत के विभिन्न राज्यों में रहे हैं। लिखना, पढ़ना, वार्ता, और सामाजिक संवाद उनकी अभिरुचि है। साहित्य की विभिन्न विधाओं में सतत लिखने वाले अनुराग ने हिन्दी अकादमी के प्रवासी काव्य संग्रह देशांतर तथा अंतर्राष्ट्रीय काव्य संकलन एसर्बिक एंथोलोजी सहित अनेक प्रतिष्ठित प्रकाशनों में स्थान पाया है। काव्य संग्रह 'पतझड़ सावन वसंत बहार' तथा खोजपरक अध्ययन 'इण्डिया एज़ एन आईटी सुपरपॉवर' प्रकाशित हो चुके हैं।
अनुरागी मन उनका ताज़ा कथा-संग्रह है। उनके तकनीकी प्रपत्र अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में पढ़े गए हैं और प्रकाशित हुए हैं। वे सृजनगाथा और गर्भनाल पर पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति के स्तंभकार रहे हैं। 'बांधों को तोड़ दो', 'वैरागी मन', 'प्रवासी मन', 'एन एलियन अमंग फ्लेशईटर्स' व 'सीक्रेट डायरी ऑफ एन एक्ज़ीक्यूटेड फ़्रीडम फाइटर' उनकी आगामी कृतियों के नाम हैं।
भारत से दूर रहते हुए भी 'पॉडकास्ट कवि सम्मेलन', 'शब्दों के चाक पर', 'सुनो कहानी' और 'बोलती कहानियाँ' जैसे स्वर-आकर्षणों का संचालन कर चुके अनुराग ने
'विनोबा भावे के गीता प्रवचन ' तथा प्रेमचन्द की कहानियों की ऑडियोबुक' को स्वर दिया है। उन्होने इंटरनैट पर चौबीसों घंटे चलने वाले भारतीय रेडियो स्टेशन की स्थापना भी की थी।
तिब्बत के मित्र, यूनाइटेड वे एवं निरामिष जैसे सामाजिक संगठनों से जुड़े अनुराग सन् 2005 की त्सुनामी में एक लाख डॉलर की सहायता राशि जुटाने वाली समिति के सक्रिय सदस्य थे। 'आनंद ही आनंद' संस्था द्वारा उन्हें 2015-16 का
'राष्ट्रीय भाष्य गौरव सम्मान' प्रदान किया गया था। वे महात्मा गांधी संस्थान, मॉरिशस द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय द्वैवार्षिक पुरस्कार
'आप्रवासी हिंदी साहित्य सृजन सम्मान' के प्रथम विजेता हैं।
आईटी प्रबंधन में स्नातकोत्तर अनुराग एक बैंकर रह चुके हैं और आजकल पिट्सबर्ग, अमेरिका में परियोजना प्रबन्धक हैं। लिंक्डइन पर उनका सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधी परिचय उपलब्ध है। वे हिंदी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित मासिक पत्रिका
सेतु के संस्थापक, प्रकाशक तथा प्रमुख सम्पादक हैं।
सम्प्रति:
रेडियो प्लेबैक इंडिया के सह संस्थापक
पिटरेडियो के संस्थापक व संचालक
सेतु पत्रिका के प्रमुख सम्पादक
निजी ब्लॉग:
बर्ग वार्ता
वैबस्थल:
स्मार्टइंडियन डॉट कॉम
प्रकाशित कृतियाँ:
अनुरागी मन (कथा संग्रह);
देशांतर (काव्य संकलन);
एसर्बिक ऐंथॉलॉजी (काव्य संकलन);
पतझड सावन वसंत बहार (काव्य संग्रह);
इंडिया ऐज़ ऐन आय टी सुपरपॉवर (अध्ययन);
विनोबा भावे के गीता प्रवचन की ऑडियोबुक;
सुनो कहानी;
प्रेमचन्द की कहानियों की ऑडियोबुक;
हिन्दी समय पर कहानियाँ;
तकनीक सम्बन्धी शोधपत्र तकनीकी पत्रिकाओं में;
कवितायें, कहानियाँ, साक्षात्कार, तथा आलेख अंतर्जाल पर, साहित्यिक पत्रिकाओं व हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित
गिरिजेश की चिन्ताओं में एक बड़ी चिन्ता हमारी आगामी पीढ़ियों की चिन्ता थी और यह अपने बच्चों तक सीमित नहीं थी। गिरिजेश आगामी पीढ़ियों के लिये पहले से अधिक सुघड़ संसार छोड़ने के पक्षधर थे और इसके लिये अपनी पूरी क्षमता से लगे रहे और विनम्रता इतनी कि कइयों पर अकेले भारी पड़ने वाले व्यक्ति, अनेक पत्थरों को छूकर स्वर्ण करने वाले पारस के ब्लॉग का नाम “एक आलसी का चिट्ठा” है क्योंकि गिरिजेश एक जीवन में कई जीवनों का कार्य पूर्ण करना चाहते थे।
मैं सोचने लगा कि इतनी प्रेममयी बुआ से हमें सदा उपेक्षा ही क्यों मिली? क्या पिता की निर्धनता बुआ के प्रेमभाव पर ग्रहण लगने का कारण थी?
मानवता के सामने आये कठिनतम समय का उजला पक्ष यह है कि मृत्योर्माऽमृतङ्गमय, और तमसो मा ज्योतिर्गमय के संदेश का देश आशामय है और संसार की सर्वाधिक गहन तथा दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या के बावजूद न केवल रोग को नियंत्रण में रखे हुए है बल्कि अपने देश के साथ-साथ पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी आपदाग्रस्त देशों से सफलतापूर्वक बाहर निकालकर लाया है।
New blood cells were puzzled themselves, they couldn’t explain the mystery of the blood donation to the old blood cells.
time management audio version (पूर्वप्रकाशित लेख का ऑडियो संस्करण) समय प्रबंधन। आपने भी इतना तो देखा होगा कि छुट्टियों के बजाय काम के दिनों में आप अधिक उत्पादक होते हैं। कार्य के तनाव को दक्षता की प्रत्यञ्चा बनाइये। आप जितने अधिक व्यस्त हैं, उतने ही अधिक काम कर सकते हैं, क्योंकि एक काम से दूसरे में परिवर्तन भी एक प्रकार का विश्राम देता है।
होली रंगों का वासन्ती पर्व है। इस ऋतु में प्रकृति रंग बिखेरती है, मानव उसके अनुकरण में उत्सवी हो जाते हैं! आइये, इस होली पर एक अमेरिकी उद्यान का भ्रमण करते हैं, मिलतेे हैंं मुस्कुराते हुए कुछ फूलों से।
(पूर्वप्रकाशित लेख का ऑडियो संस्करण) समय प्रबंधन के कुछ सूत्र: आप कितने भी सक्षम हों, कितने बड़े तुर्रमखाँ हों, अपने को अलादीन के चिराग़ का जिन्न न समझें। डेलीगेशन अर्थात प्रतिनिधित्व आपका उद्धारक है। व्यवस्था के पदानुक्रम में अपना स्थान पहचानिये। अपने उत्तरदायित्व को समझकर भी सब कुछ अपने हाथ में रखने का प्रयास न करें।
उत्पाद को प्रथम 80 प्रतिशत स्वरूप में लाने तक यदि 20 प्रतिशत समय लगता है और शेष 20% में 80% समय तो पहले 80% को स्थायित्व देने का प्रयास किया जाना चाहिये। और उस बचे हुए 80% समय को चार अन्य कार्यों को 80% स्थायित्व देने में प्रयोग कीजिये। लड्डू खाने में रसना रञ्जक हों, उनका आकार भले ही कलाकंद जैसा हो।
समय प्रबंधन के कुछ सूत्र – एक दिन में 40 घण्टे का काम कैसे करें समय प्रबंधन पर आलेख लिखने में एक ही बाधा थी, समय की बाधा। कुछ भी करने के लिये समय एक सामान्य आवश्यकता है। आप कितने भी समृद्ध, कुशल, महान, या प्रसिद्ध हो जायें, समय का कोष सीमित ही रहता है।…
यदि आपको भारत के बाहर यदि कहीं भारत के दर्शन हो सकते हैं तो वह स्थान अवश्य ही मॉरिशस होगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
प्रेम – एक लघुकथा अनुराग शर्मा “ए हरिया, कहाँ है तेरी घरवाली? कल रात क्यों लड़ रहा था उससे?” रात को सर्वेंट क्वार्टर से आती आवाज़ों के बारे में मैंने चौकीदार हरिया से पूछा। “मैं नहीं लड़ता हूँ मालिक। उसी ने मुझसे झगड़ा करने के बाद अपने भाई को बुलाया और उसके साथ मायके चली गई।” “और अब…
और धरा थमती जाती है, अम्बर का रक्ताभ नयन भी शांत हो रहा धूम्राच्छादित सीमा पर जाकर राष्ट्र उठा जब, फटा हुआ दिल, साँस ले रहा, आशा है बस चमत्कार की, चमत्कार बस और उठेगा, पर्व निकट आने दो, और बढ़ेगा, उन्नत चंद्रकिरण में होगा, संंत्रास और आनंद से घिरा कदमताल कर एक तरुण,…
अहिंसा को मैं आठ-तल्ला भवन के पहले तल की पहली सीढ़ी मानता हूँ। इतना ध्यान में रखना है कि अहिंसा भारतीय संस्कृति के उन मूलभूत तत्वों में से एक है जो हमें सभी अभारतीय संस्कृतियों, पंथों, और समुदायों से अलग धरातल पर खड़ा करते हैं। अंग्रेज़ी के प्रचलित शब्द में यह भारतीय संस्कृति का पैराडाइम शिफ़्ट है।
अद्भुत निष्कर्ष निकालने की त्वरा ठीक नहीं। मनुष्य एक विचारवान प्राणी है। वह अपने विचारों को अभिव्यक्त भी कर सकता है और उन्हें कार्यरूप में परिणत भी। बुद्धि, विवेक का प्रयोग हमारे लिये जितना सामान्य है, उतना ही सामान्य है दुविधा में पड़ना। अधिकांश लोग कभी न कभी किसी न किसी संशय में पड़ चुके…
भारतीय दर्शन समन्वयवादी और विश्लेषणात्मक है। उसमें तू-तू मैं-मैं नहीं, हम ही हम है। एक ही ईश्वर का अंश होने के कारण हम सभी एक वैश्विक स्वरूप का अंशमात्र हैं। इसलिये किसी को किसी के आगे झुकाने की आवश्यकता नहीं है।
अमेरिका में हिन्दी शिक्षण की एक बड़ी ज़िम्मेदारी ऐसी संस्थाओं द्वारा उठाई जा रही है जिन्हें आमतौर पर हिन्दी सेवी श्रेणी में नहीं गिना जाता है। इन संस्थाओं में भारतीय संस्कृति से लेकर धर्म और अध्यात्म के लिये काम करने वाली संस्थायें हैं।
चलते चलते पोथीधर दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘पुस्तक मेले’ का समय है। कई लोग पुस्तकों से प्रेम करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे किसी दूसरी सजावटी वस्तु से जैसे – गमला, पेपरवेट आदि। पुस्तकें खरीदते हैं और सजा कर प्रदर्श में रख देते हैं। पढ़ते कदापि नहीं। यही भर नहीं, अपने इस दोष का…