पंथ निरपेक्षता और संविधान
अब्राहमिक सम्प्रदायों में एकाधिकार की वृत्ति है, जिससे राजनैतिक महत्वाकांक्षा पनपती है स्वाभाविक रूप से ऐसी सांप्रदायिक-राजनैतिक व्यवस्था में अन्य धर्मों के अस्तित्व के लिए सेक्युलरिज्म की नितांत आवश्यकता है। किन्तु भारतीय धर्मों में इस एकाधिकार की वृत्ति और उससे पनपने वाली राजनैतिक महत्वाकांक्षा के सामान्यतः अभाव के बावजूद सेक्युलरिज्म की अवधारणा को पाश्चात्य सन्दर्भ में भारतीय राजनीति में अनावश्यक रूप से ठूँसा गया।