नानक की बाबरवाणी

नानक की बाबरवाणी : द्वेष से खलासी असम्भव!

मुगलों के अत्याचार पर तुलसीदास ने भी लिखा – खेती न किसान को भिखारी को न भीख … किंतु उनका स्वर आक्रोश से भरे भक्त का है जिसमें लोक के प्रति करुणा ही करुणा है न कि नानक जैसे सूफी हिंसक आनन्द कि छाँई कि अच्छा हुआ जो ईश्वर ने इस प्रकार दण्डित किया।

गुरग्रन्थ में ‘मुक्ति’ हेतु ‘खलासी’ शब्द शताधिक बार दुहराया गया है किन्‍तु मूल के ही गड़बड़ होने के कारण खालिस्तानी द्वेष व मिथ्या श्रेष्ठताबोध के विष से ‘खलासी’ पायेंगे, इसमें शङ्का ही शङ्का है।

सच्चा पातशाह Git Govind

सच्चा पातशाह शुद्ध क्षत्रिय राजा, राज करेगा खालसा : शब्द – ८

सच्चा पातशाह – धरा के राजे झूठे हुये, विष्णु अवतार की परम्परा में गुरु ही ‘सच्चा राजा’ हो गया। प्रजा को ‘क्षत’ से बचाने वाला राजा। सच्चा पातशाह का अर्थ हुआ वह जो वास्तव में प्रजा का रक्षण करने वाला सर्वोच्च स्वामी राजा है। इसमें कोई बहुत बड़ा दार्शनिक आध्यात्म नहीं है वरन तत्कालीन परिस्थितियों में जनमानस को एक ऐसा व्यावहारिक मार्ग बताना है जो उन्हें अत्याचारी आक्रांताओं द्वारा दिये दु:खों से पार पाने व संघर्ष करने की शक्ति दे सकते। ‘राज करेगा खालसा’ का अर्थ समझ में आया? खालसा तो जानते ही हैं कि पारसी ‘खालिस’ से है – शुद्ध।