Cruel to Be Kind हितकर कठोरता : सनातन बोध – 35
संसार में कुछ भी आनन्ददायक तब तक नहीं, जब तक हम उसमें पारङ्गत नहीं हो जाते और किसी भी विषय में पारङ्गत होने के लिए कठिन परिश्रम आवश्यक है।
संसार में कुछ भी आनन्ददायक तब तक नहीं, जब तक हम उसमें पारङ्गत नहीं हो जाते और किसी भी विषय में पारङ्गत होने के लिए कठिन परिश्रम आवश्यक है।