अमरकोश शब्द : लघु दीप

नाम अमरकोश से : लघु दीप – ३६

चन्दन आदि को घिसने से उत्पन्न सुगन्धि को परिमल कहते हैं।
दूर तक पसरने वाली सुगन्‍ध को समाकर्षी एवं निर्हारी नाम दिये गये हैं।
सुगन्धि के चार नाम हैं – सुरभि, घ्राणतर्पण, इष्टगन्‍ध एवं सुगन्धि।
मुख को सुगन्‍धित करने वाले द्रव्य आमोदी एवं मुखवासन कहे गये हैं।
दुर्गन्‍ध के दो नाम हैं, पूतिगन्‍धि एवं दुर्गन्ध।
कच्चे मांस की गन्ध को विस्र एवं आमगन्धि नाम दिया गये हैं।

Amarkosha अमरकोश, कुछ शब्द : लघु दीप – ३५

Amarkosha अमरकोश, कुछ शब्द : लघु दीप – ३५

अमरसिंह जिस क्षेत्र के थे वहाँ राजा के साले को राष्ट्रिय (आज के राज्यपाल की भाँति) पद दिया जाता था, ऐसा न समझें कि राजा का साला अर्थात पूरे राष्ट्र का साला! कुछ भाष्यकारों के अनुसार राठौर वंश किसी राष्ट्रिय का ही है।

अमरकोश : कुछ प्रचलित शब्द : लघु दीप

Amarkosha अमरकोश, कुछ प्रचलित शब्द : लघु दीप – ३४

पहुना, पाहुन (भोजपुरी, मैथिली आदि), संस्कृत में प्राघुणक।
प्राघूर्णिक: प्राघुणकश्च। – अभ्यागत हेतु।
अमरकोश से निकलते, कुछ प्रचलित शब्द आज के लघु दीप में।

सच्चा पातशाह Git Govind

सच्चा पातशाह शुद्ध क्षत्रिय राजा, राज करेगा खालसा : शब्द – ८

सच्चा पातशाह – धरा के राजे झूठे हुये, विष्णु अवतार की परम्परा में गुरु ही ‘सच्चा राजा’ हो गया। प्रजा को ‘क्षत’ से बचाने वाला राजा। सच्चा पातशाह का अर्थ हुआ वह जो वास्तव में प्रजा का रक्षण करने वाला सर्वोच्च स्वामी राजा है। इसमें कोई बहुत बड़ा दार्शनिक आध्यात्म नहीं है वरन तत्कालीन परिस्थितियों में जनमानस को एक ऐसा व्यावहारिक मार्ग बताना है जो उन्हें अत्याचारी आक्रांताओं द्वारा दिये दु:खों से पार पाने व संघर्ष करने की शक्ति दे सकते। ‘राज करेगा खालसा’ का अर्थ समझ में आया? खालसा तो जानते ही हैं कि पारसी ‘खालिस’ से है – शुद्ध।

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि : शब्द – ३

कृष्ण सङ्कर्षण कृषि – सङ्कर्षण – सम्यक् कृष्यते इति सङ्कर्षण। नीलाम्बरो रौहिणेयस्तालाङ्को मुसली हली। सङ्कर्षणो सीरपाणि: कालिन्दीभेदनो बल: ॥