नगरीकरण एवं भारत का विकास : जन-कुपोषण एवं खटमल विकास

हम, भारत के लोग, विश्व की कुल कुपोषित जनसंख्या का एक चौथाई अपने में समोये हुये हैं। कुपोषण ग्रामीण, नागर, धनी, निर्धन, मध्यवर्ग इत्यादि सब की वास्तविकता है। खाद्यान्न वितरण के विशाल सरकारी तंत्र पर हमारे सकल घरेलू उत्पादन का एक प्रतिशत व्यय होता है जो कि बहुत बड़ी राशि है तब भी हमारे गोदामों…