भ्रष्टाचार, कुसंग और दण्ड : सनातन बोध – ८६
शोध इस बात को इंगित करते हैं कि यदि हम अन्य लोगों को भ्रष्ट आचरण करते हुए देखते हैं तो हम भी उससे प्रभावित होते हैं। हमें यह एक सामान्य प्रक्रिया लगने लगती है। उत्कोच एक संक्रामक महामारी की तरह है।
शोध इस बात को इंगित करते हैं कि यदि हम अन्य लोगों को भ्रष्ट आचरण करते हुए देखते हैं तो हम भी उससे प्रभावित होते हैं। हमें यह एक सामान्य प्रक्रिया लगने लगती है। उत्कोच एक संक्रामक महामारी की तरह है।
मगध के नन्द वंश का एक राजा महापद्म क्यों कहा जाता था? क्योंकि उसके राजकोश में उतनी स्वर्णमुद्रायें थीं किन्तु उनका उपयोग जनहित हेतु न होने से असन्तोष की स्थिति थी जिसका दोहन कर कौटल्य ने नन्दवंश के स्थान पर चन्द्रगुप्त हो आसीन किया। चाणक्य नीति एवं कौटल्य के अर्थशास्त्र से आरम्भ कर रामायण तक जाने एवं पुन: कौटल्य तक लौटने का उद्देश्य यह है कि आप अपने शास्त्र आदि पढ़ें जिससे परम्परा की निरंतरता का ज्ञान हो।
सुख का अर्थशास्त्र happiness economics : सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) की भाँति सकल राष्ट्रीय सुख (gross national happiness) के आधार पर नीति निर्माण के तर्क भी दिए जा रहे हैं। ये अध्ययन पारम्परिक अर्थशास्त्र के लिए चुनौती हैं क्योंकि इन अध्ययनों के निष्कर्ष पारम्परिक पश्चिमी अर्थशास्त्र के भौतिक सुख-साधनों के स्थान पर…