मेरा घर (तिब्बत) कविता, हिंदीBy मघाAug. 19, 2020Leave a commentघर लौटते ही – उसी क्षण मैं भूल जाता हूँ – पूर्णत: कि इस साम्राज्य में है न तो सूरज का प्रकाश और न आकाश।