अरण्यानी देवता – ऋग्वेद Araṇyānī Devatā – Ṛgveda 10.146
गिरा दिया वृक्ष किसी ने हाँक पार रहा कोई गैया
उतरी साँझ में वनबटोही समझ रहा चीख किसी की!
वनदेवी कभी न हनती जब तक न आये अरि हत्यातुर
खा कर सुगन्धित इच्छित फल जन लेते विश्राम ठहर।
गिरा दिया वृक्ष किसी ने हाँक पार रहा कोई गैया
उतरी साँझ में वनबटोही समझ रहा चीख किसी की!
वनदेवी कभी न हनती जब तक न आये अरि हत्यातुर
खा कर सुगन्धित इच्छित फल जन लेते विश्राम ठहर।