Babylonian and Indian Astronomy बेबिलॉन एवं भारतीय ज्योतिष – अन्तिम भाग
प्रतीत होता है कि सौर राशि चिह्नों को आज जैसा हम जानते हैं, उनका उद्भव भारत में हुआ जहाँ उनका सम्बन्ध नक्षत्रों के अधिष्ठाता देवताओं से है।
प्रतीत होता है कि सौर राशि चिह्नों को आज जैसा हम जानते हैं, उनका उद्भव भारत में हुआ जहाँ उनका सम्बन्ध नक्षत्रों के अधिष्ठाता देवताओं से है।
बेबीलॉन गणित साठ (60) पर आधारित गणना पर निर्भर करता है, जिसका अर्थ है कि उसमें स्थानिक मान तंत्र का आधार 60 है। बेबीलॉन की गणितीय परंपरा की यह मुख्य विशेषता मानी जाती है। बेबीलॉन नववर्ष वसन्त विषुव के साथ अथवा उसके अनन्तर आरम्भ होता है।
भारत के प्रारम्भिक वर्षों में शतवर्षीय पञ्चाङ्ग का अस्तित्व था, जिसका 2700 वर्षों का चक्र होता था। इसे सप्तर्षि पञ्चाङ्ग कहा जाता था।
वे सभी विचार मिथ्या सिद्ध हो जाते हैं जो कहते हैं कि भारतीय ज्योतिष मेसोपोटामिया या ग्रीस से भारत में प्रसारित हुई किसी धारा पर आधारित है। ज्योतिष के प्रसिद्ध विद्वान बी एल वान देर वैरडेन ने 1980 के एक पत्र Two treatises on Indian astronomy में इस विवाद पर अपने विचार प्रस्तुत किए ।