Common Woodshrike खरकटा लहटोरा
Common Woodshrike खरकटा लहटोरा का अधिकांश समय वृक्षों पर ही व्यतीत होता है। घास-फूस के झुरमुटों में रहने के कारण इसे खरकटा लहटोरा कहा जाता है।
Common Woodshrike खरकटा लहटोरा का अधिकांश समय वृक्षों पर ही व्यतीत होता है। घास-फूस के झुरमुटों में रहने के कारण इसे खरकटा लहटोरा कहा जाता है।
सहेली लगभग ६ इंच का छोटा सा सुन्दर पक्षी है जो युगल में या लघु झुण्ड में पेड़ों के ऊपर फुदकते हुए देखा जा सकता है। इसकी चोंच और पंजे कृष्ण वर्णीय तथा नेत्र गोलक भूरा होता है।
Oriental Honey Buzzard मधुबाज़, लगभग २८ इंच का चील के बराबर का व्याध (शिकारी) पक्षी है। मधु व मधुमक्खियां प्रिय भोज्य होने से यह नाम मिला है।
छोटा पोदेना हमारे देश में शीत ऋतु में, अक्टूबर तक, हिमालय पर्वत पार करके भारत प्रवास पर आकर पूरे देश में छा जाता है और शीत ऋतु का प्रभाव अल्प होने के साथ ही अपने मुख्य निवास स्थान पेलार्क्टिक क्षेत्र और पूर्वी यूरोप पुन: लौट जाता है।
Bluethroat Luscinia svecica नीलकण्ठी पिद्दा श्यामकण्ठ – यह सुन्दर पक्षी शीत ऋतु में अलास्का से भारत आता है। अप्रैल में लौट जाता है।
Barn Owl श्वेत उल्लू चूहों को भी सम्पूर्ण निगल लेते हैं तथा पचाने के पश्चात केश और हड्डियों के अवशेष एक गोली के रूप में उगल देते हैं।
Oriental Magpie Robin दहियर मानव आवास के निकट झाड़ी, उपवन, वाटिकाओं आदि में कीड़े-मकोड़े खोजते या किसी ऊँची शाखा पर बैठा मधुर संगीत सुनाते देखा जा सकता है। यह बांग्लादेश का राष्ट्रीय पक्षी है।
Ashy Prinia फुत्की लगभग ५ इंच का पक्षी है। जिसकी २.५ इंच लम्बी पूंछ होती है, इसे झाड़ियों में या उसके आस-पास प्राय: फुदकते हुए देखा जा सकता है।
Black Stork कृष्ण महाबक लम्बी टांगों वाला बगुला परिवार का एक सुन्दर पक्षी है जो अपने कृष्ण वर्ण के कारण ही सुरमई नाम से भी जाना जाता है।
चंदियार पक्षी उत्तर भारत में अब अत्यल्प दृष्टिगोचर होता है। निचलौल के जंगल में मात्र २ पक्षी दिखाई दिए है। परन्तु बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया प्रखंड के कदुवा-दियारा गाँव में इनके नीड़ देखे गए हैं।
Indian Nuthatch सिरी लगभग ५ इंच लंबा चञ्चल पक्षी है। तने पर ऊपर-नीचे दौड़ लगाता रहता है। अधोभाग कत्थई (खैरा) होता है, इसलिए इसे खैरी कठफोरिया भी कहते हैं।
छोटा बसंता की आवाज बहुत मीठी होती है जिसे सुनने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई ठठेरा अपना कार्य कर रहा हो, इसीलिए इसे ठठेरा भी कहते हैं।
संस्कृत साहित्य में कौवे अनेक कारणों से बहुचर्च्चित हैं तथा पक्षियों में कौवे के सर्वाधिक पर्यायवाची उपलब्ध हैं। कौवे हेतु रामायण व महाभारत में वायस सञ्ज्ञा बहुत प्रचलित है। भारत में इन पक्षियों के सात प्रमुख प्रकार हैं।
फुलसुंघी घने नम जंगलों, आम, महुआ, अमरुद आदि की वाटिकाओं में पाई जाती है। इसे वृक्षों की एक से दूसरी लघु शाखाओं पर फुदकते हुए देखा जा सकता है।
गिर्री भारत की वृक्ष पर रहने वाली बतखों में सबसे छोटी बतख है। इसे ग्राम-देहात में बाबा तरवा भी कहा जाता है। यह उड़ने के साथ-साथ डुबकी लगाने में भी निपुण होती है।
सौबिगा भारत का बहुत परिचित पक्षी है जिसे वाटिकाओं में प्राय: देखा जा सकता है। यह जोड़ों में या ४-५ के झुण्ड में भी दिखाई पड़ जाता है। इसकी अवाज बहुत सुरीली होती है।
कुतर भारत में अपना प्रवास पूरा करके यूरोप और एशिया के अन्य शीत देशों में जाकर प्रजनन करते हैं। अफ्रीका और भारत इनका प्रजनन क्षेत्र नहीं है परन्तु उत्तर भारत में कुछ स्थानों पर इनके नीड़ अप्रैल में देखे गए हैं।
Verditer Flycatcher निलकटकटिया एक साहसी, निडर, सुन्दर व चञ्चल पक्षी है जिसका रंग नीलप्रस्तर समान कान्तिमान एवं नर की आँखों से चोंच तक काला गण्ड होता है।
White-Breasted Waterhen जलमुर्गी यहाँ की बारहमासी चिड़िया है, देश से बाहर नहीं जाती है।स्वभाव से लज्जालु यह किञ्चित आहट से ही भाग कर झाड़ियों में छिप जाती है।
देयोरा भारत की बारहमासी चिड़िया है। ऊसर बाघेरी अपने नाम के अनुरूप खुले मैदानों और ऊसर क्षेत्र में रहने वाली चिड़िया है, इसे जंगल किञ्चित भी प्रिय नहीं है।