Indian White-Eye बबूना
बबूना लगभग ४ इंच की एक छोटी सी सुन्दर एवं बहुत ही चञ्चल चिरैया है। इसके नेत्रों के ऊपर एक श्वेत वलय होता है। शरीर का वर्ण पीत-हरिताभ पराग कण सम होता है।
बबूना लगभग ४ इंच की एक छोटी सी सुन्दर एवं बहुत ही चञ्चल चिरैया है। इसके नेत्रों के ऊपर एक श्वेत वलय होता है। शरीर का वर्ण पीत-हरिताभ पराग कण सम होता है।
Wood Sandpiper चुपका पङ्क-कीच वाले जलाशयों में कीड़े-मकोड़े उदरस्थ करने हेतु विचरण करता रहता है एवं समय-समय पर अपनी पूँछ को ऊपर-नीचे भी करता रहता है।
नकटा को जलाशयों के निकट वृक्षों पर रहना अधिक प्रिय है। अत: इसे पेड़ की बतख भी कहा जाता है। इसकी चोंच के ऊपर एक बड़ा सा उभार निकला होता है। इसी से इसका अभिजान सरल हो जाता है।
Common Redshank या सुरमा एक यूरेशियन पक्षी है जो भारत में लद्दाख हिम क्षेत्र में रहता है परन्तु शीत ऋतु के हिमपात वृद्धि होने पर भारत के अन्य क्षेत्रों में आ जाता है एवं मार्च माह तक शीत ऋतु बीतने पर पुन: हिम पर्वत क्षेत्र में लौट जाता है।
Red-crested Pochard लालसर एक पनडुब्बी बतख है जो भारत का ऋतु-प्रवासी पक्षी है। शीतकाल प्रारम्भ होते ही उत्तर में पञ्जाब से लेकर दक्षिण के हैदराबाद तक आता है।
धूसर (grey) एवं श्याव (भूरा), ये दो रंग भारत में इस पक्षी के हंस से भिन्न अभिज्ञान हेतु प्रयुक्त होते रहे। हंस संस्कृत एवं भारतीय साहित्य तथा आख्यानों, पुराणों, कथाओं आदि में इस देश के मानस में गुम्फित रहा है।
शिवहंस ग्रेब(पनडुब्बी) परिवार का सबसे बड़ा पक्षी है। परन्तु प्रजनन काल में नर के सिर पर एक काली चोटी निकल आती है और गले का भाग कत्थई चटक रंग का हो जाता है।
River Lapwing नदी टिट्टिभ भारत का एक स्थानीय पक्षी है जो टिटहरी का निकट सम्बन्धी है। पढ़िए अवधी चिरैया शृंखला में इस बार इस सङ्कटासन्न पक्षी को।
जांघिल का जीवनकाल २०-३० साल का होता है। ये नीड़ का निर्माण प्राय: कॉलोनी स्वरूप में करते हैं। अन्य बगुलों और पेलिकन के साथ भी नीड़ निर्माण कर लेते हैं।
विराम दे दे यह पाँच प्रकार के स्वर निकालता है। इसके स्वर को शुभ माना गया। अन्य नाम पिङ्गचक्षु, पिङ्गेक्षण आदि हैं। क्वयी एवं पिङ्ग नाम भी मिलते हैं। पञ्चतन्त्र का कृकालिका भी यही पक्षी है।
Purple Heron लाल अञ्जन को नील लोहित रंग राजन्य एवं फ़ीनिक्स पक्षी से जोड़ता है। चतुरता से जल सतह पर पंख पत्ता रख ध्यानमग्न हो मछली की प्रतीक्षा करता है।
Rose-ringed Parakeet तोता अकेला ऐसा पक्षी हैं जो अपने भोजन को पैरों से पकड़कर चोंच तक ले जाता हैं। इनकी कर्कश प्रजनन काल में तनिक मधुर हो जाती है। तोते नीड़ का निर्माण नहीं करते हैं। अपितु तने के कोटर आदि में निवास करते हैं।
महाभारत में जिन्हें नागाशी की संज्ञा दी गई है, वे ये पक्षी हो सकते हैं। सुवर्णचूडो नागाशी दारुणश्चण्डतुण्डकः । अनलश्चानिलश्चैव विशालाक्षोऽथ कुण्डली ॥
रक्त श्मश्रु गोवत्सक, बुलबुल Pycnonotus jocosus : इसे घने वन प्रांतर नहीं भाते। झाड़ियों से भरे हुए मैदान, उद्यान, बस्तियों के आसपास के खेत एवं खुले सपाट क्षेत्र प्रिय हैं। यह बहुत ही प्रसन्न रहने वाली चिड़िया है जो मीठी बोली बोलती है तथा जिस स्थान से इसे लगाव हो जाता है वहाँ इसे बहुतायत में देखा जा सकता है।
हरे और भूरे वर्ण के कोटुर (Megalaima zeylanicus or Psilopogon zeylanicus) पक्षी प्राय: अकेले ही पाये जाते हैं किंतु फल उद्यानों में 20 की संख्या तक के झुण्ड में भी देखे गये हैं। ये शीत ऋतु में लगभग चुप रहते हैं किंतु ग्रीष्म ऋतु में लगातार कुटरू कुटरू की ध्वनि निकालते रहते हैं।
Indian Robin भुजइन एक सक्रिय प्रमुदित चिड़िया है। बरामदों में कीड़ों को लेने के लिये आ जाती हैं। फूस की छतों और भूमि पर फुदक फुदक कर चलती हैं।