भैया जी
एक निरुद्देश्य भटकने वाले यायावर को आपने एक उद्देश्य दिया। जिन विषयों के बारे में मैंने केवल सुना भर था, आपने “उत्प्रेरक” का कार्य कर मुझे उन विषयों में गहराई में जाने के लिए प्रेरित किया।
एक निरुद्देश्य भटकने वाले यायावर को आपने एक उद्देश्य दिया। जिन विषयों के बारे में मैंने केवल सुना भर था, आपने “उत्प्रेरक” का कार्य कर मुझे उन विषयों में गहराई में जाने के लिए प्रेरित किया।
Bhārata needs second Republic – Many of legislations are not in accordance with the said concept of equality and ‘Secularism’.
हमें कई असुविधाजनक प्रश्नों के समक्ष खड़े होना होगा जिनसे हम जाने अनजाने मुँह छिपा ले जाते हैं। यह भी स्पष्ट है कि हम युद्ध के लिये तत्पर नहीं हैं। हम एक थोपा हुआ युद्ध लड़ रहे हैं और अंततः विजय हमारी ही होगी। यतो धर्मस्ततो जयः।
प्रकृति माता है और माता का मातृत्त्व जब अमृत बन कर बरसता है तो उसका एक रूप महुआ के रूप में भी सामने आता है।
बहुत ही कम लोग हैं जो इस तरह की स्वतंत्र जाँच में नियमित आधार पर संलग्न होते हुये अपने मानसिक संतुलन को बनाए रख सकते हैं…यदि कोई दावा करता है कि 2030 में मानव समाज में सौर ऊर्जा, ऊर्जा उत्पादन तथा उपभोग का प्रमुख रूप होगी (और किसी ने किया भी है ), तो मैं इस तरह के दावे का आधार खोजना चाहूँगा, यदि कोई आधार है तो तथा यह भी देखना चाहूँगा कि उपभोग की सामयिक प्रवृत्ति क्या इसकी सम्भावना बताती है? कोई भी घटना केवल इसीलिये नहीं घटित होगी कि कुछ चतुरमना भविष्य में उसके घटने में विश्वास करते हैं!!!