अधूरी सूचना की सनसनी, सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 11

अधूरी सूचना की सनसनी : लोगों की धारणायें प्राय: उनकी भावनाओं से, पारंपरिक अर्थशास्त्र की लाभ-हानि (risk reward) को सोचे बिना, निर्धारित होती हैं।

ऊर्जा चक्र, सनातन बोध : प्रसंस्करण, नये एवं अनुकृत सिद्धांत – 10

हम यदि बातों को अपने व्यवहार में लेकर आयेंं तो धीरे धीरे हमारी भावनायेंं उस स्तर पर स्वतः ही आ जाती हैं – ‘करत करत अभ्यास ते’ वाली बात। ऐसी कई बातें हमारी सोच को अनजाने प्रभावित करती रहती हैं। आधुनिक निर्णय शास्त्र (decision making) में प्रयुक्त होने वाले इस ‘नये सिद्धांत को पढ़ते हुए – संगति की सीख, वातावरण का प्रभाव – चाणक्य का ‘दीपो भक्षयते ध्वांतम कज्जलम च प्रसूयते’ या ‘तुलसी संगति साधु की’ जैसी कितनी पढ़ी हुई बातें याद आती हैं।

सनातन बोध, अनुकृत सिद्धांत – 9

पिछले लेखांश में हमने सांख्य का सरल मनोवैज्ञानिक विश्लेषण पढ़ा, जिसमें हमने आधुनिक मनोविज्ञान के समानांतर सोचने की दो प्रणालियों को परिभाषित किया। आधुनिक मनोविज्ञान में जहाँ भी इन दो प्रणालियों की चर्चा आती है सांख्य के इस प्रतिरूप से एकरूपता दिखती है। कोई विरोधाभास नहीं. पश्चिमी मनोविज्ञान में सोचने के इस तरीके और हमारे…