श्रीमान् उपाध्याय एवं मिस्टर स्मिथः : सरल संस्कृत – ४
इस लेख में सरल लेखन की वाक्य संरचना का प्रदर्श है। साथ में दिये हिंदी अनुवाद के संगत वाक्यों से तुलना कर इन दो भाषाओं के परस्पर सम्बन्ध एवं भिन्नताओं को देखा जा सकता है।
इस लेख में सरल लेखन की वाक्य संरचना का प्रदर्श है। साथ में दिये हिंदी अनुवाद के संगत वाक्यों से तुलना कर इन दो भाषाओं के परस्पर सम्बन्ध एवं भिन्नताओं को देखा जा सकता है।
सरल संस्कृत पर कुछ दिनों पूर्व हमने लेखशृङ्खला आरम्भ की थी जिस पर विराम लग गया। हमने सीधे बोलने से आरम्भ किया था। सम्भवत: वर्णमाला से आरम्भ न करने के कारण यह विघ्न आया क्यों कि पहले देव आराधना तो होनी चाहिये थी। देव आराधना का क्या अर्थ है?
देववाणी अभ्यास माला। बोलत बोलत अभ्यास ते आ संस्कृत बोल सुजान।
त्रि (3) + त्रय(3) + अङ्ग(6) + पञ्च(5) +अग्नि(3) + कु(1) + वेद(4) + वह्नय(3); शर(5) + ईषु(5) + नेत्र(2) + अश्वि(2) + शर(5) + इन्दु(1) + भू(1) + कृताः(4)। वेद(4) + अग्नि(3) + रुद्र(11) + अश्वि(2) + यम(2) + अग्नि(3) + वह्नि(3); अब्धयः(4) + शतं(100) + द्वि(2) + द्वि(2) + रदाः(32) + भ (नक्षत्र) + तारकाः।
ऋषि, मनीषियों और विचारकों की भाषा संस्कृत हमारे संस्कृति ज्ञान की पहली सीढ़ी है। अस्माकं जीवने न केवलं अस्माकं व्यवहारः, दैनन्दिन कार्यकलापाः, परस्पर वार्ताः अपितु सर्वाः क्रियाः अस्माकं चरित्रं दर्शयन्ति। सामान्याः भारतीयजनाः तेषां जीवने, वेद अथवा वेदाधारित अन्यान्य ग्रन्थान् तथाच तेषां चरित्रानुसरणं कुर्वन्ति। इयं वेदाधारित जीवन पद्धतिः अस्माकं भारतीय संस्कृतिः। भारतीय जनमानस चरित्रं च अवगन्तुं…