विनम्र परन्तु हठी नवयुवक

पहली मुलाक़ात कुछ विशेष नहीं थी। विवाह के उपरान्त विदाई के समय ठीक से निहारा था उनको। उम्र कच्ची थी। उनकी भी और मेरी भी। एक विनम्र परन्तु हठी नवयुवक की धारणा बनी। जो अन्त तक रही। कालान्तर में विभिन्न अवसर और स्थान बदले पर यह नवयुवक नहीं बदला।

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एक कालयात्री जो सनातन था

गिरिजेश राव जी की कई फेसबुक प्रोफाइल थीं और वे बदल-बदल कर उपयोग करते थे ऐसे में उनको ढूंढना पड़ता था। पहले तो ढूँढने में कठिनाई होती थी किन्तु धीरे-धीरे उनकी शैली को पहचाने लगा।

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सोऽहं हंसः

सोऽहं हंसः — मुख से मन की बात न पूछो

हंस से जुड़ी रूढ़ियाँ अनगिन हैं तथा प्रत्येक रूढ़ि एक कोमल किन्तु सुदृढ़ रहस्य का प्रतीक है। और इन रूढ़ियों की यही कोमल रहस्यात्मकता इसे भारतीय साहित्य, कला, दर्शन एवं तन्त्र में एक महत्वपूर्ण अवयव के रूप में स्थापित करती है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध तथा भावप्रवण भारतीय चिन्तना ने जितने भी प्रतीक गढ़े हैं उनमें हंस शब्द के रहस्य का घनत्व एवं विस्तार दोनों ही सबसे अधिक है।

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निर्मोही

07 अगस्त 2016 का दिन था, जो जीवनपर्यन्त अविस्मृत रहेगा। पिताजी को सुबह हृदयाघात हुआ था। मैं दिल्ली में और भैया चेन्नई थे। पिताजी की जीवन रक्षा हेतु हम दोनों आतुर एवं व्यग्र थे किन्तु भैया की अधीरता नहीं भूलती, पिताजी संध्या काल पर्याण कर गए। अगले दिन जब भैया गाँव पहुंचे तो उन्होंने मुझे अङ्क में छिपा लिया, अपने सारे अश्रु पी गए।

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हास्यबोध वाला यह व्यक्ति

इतने अच्छे हास्यबोध वाला यह व्यक्ति एक छटपटाहट से जूझ रहा है। छटपटाहट, जो किसी व्यक्तिगत सुख के लिए नहीं थी अपितु इसलिए थी कि अपना धर्म, राष्ट्र, सँस्कृति पुनः अपना खोया हुआ गौरव प्राप्त कर सके। …मैंने फोन करके कहा कि आप बहुत लोड ले रहे हो और मुझे आपकी चिन्ता हो रही है। हँसते हुए बताने लगा कि कितना कुछ हार्ड ड्राईव में सँजो रखा है और कितना अभी व्यवस्थित करना शेष है।

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सखा गिरिजेश

गिरिजेश की चिन्ताओं में एक बड़ी चिन्ता हमारी आगामी पीढ़ियों की चिन्ता थी और यह अपने बच्चों तक सीमित नहीं थी। गिरिजेश आगामी पीढ़ियों के लिये पहले से अधिक सुघड़ संसार छो‌ड़ने के पक्षधर थे और इसके लिये अपनी पूरी क्षमता से लगे रहे और विनम्रता इतनी कि कइयों पर अकेले भारी पड़ने वाले व्यक्ति, अनेक पत्थरों को छूकर स्वर्ण करने वाले पारस के ब्लॉग का नाम “एक आलसी का चिट्ठा” है क्योंकि गिरिजेश एक जीवन में कई जीवनों का कार्य पूर्ण करना चाहते थे।

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सनातन कालयात्री

सनातन कालयात्री

जी हाँ इसी नाम में वो आकर्षण था जिसने मुझे फेसबुक के आभासी संसार से तनिक आगे बढ़कर यथार्थ के धरातल पर कुछ कार्य करने के लिए प्रेरित किया था। पहले तो फेसबुक के माध्यम से ही वार्तालाप होता था लेकिन समय के साथ दूरभाष पर होने लगा।

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आत्मीय। अद्भुत। अद्वितीय। विलक्षण।

पढ़ाई और पेशे से अभियन्ता, आईआईटियन, और वेदपाठी। वेद, पुराण, उपनिषद, खण्डहरों, और मूर्तियों पर लिखते तो लिखते ही चले जाते। लोक गीतों, जीउतिया और नाग पञ्चमी जैसे पर्वों के अस्तित्व और उद्भव पर कैसी-कैसी अद्भुत बातें बतायी उन्होंने। कैसी अद्भुत दृष्टि!

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