नानक की बाबरवाणी

नानक की बाबरवाणी : द्वेष से खलासी असम्भव!

मुगलों के अत्याचार पर तुलसीदास ने भी लिखा – खेती न किसान को भिखारी को न भीख … किंतु उनका स्वर आक्रोश से भरे भक्त का है जिसमें लोक के प्रति करुणा ही करुणा है न कि नानक जैसे सूफी हिंसक आनन्द कि छाँई कि अच्छा हुआ जो ईश्वर ने इस प्रकार दण्डित किया।

गुरग्रन्थ में ‘मुक्ति’ हेतु ‘खलासी’ शब्द शताधिक बार दुहराया गया है किन्‍तु मूल के ही गड़बड़ होने के कारण खालिस्तानी द्वेष व मिथ्या श्रेष्ठताबोध के विष से ‘खलासी’ पायेंगे, इसमें शङ्का ही शङ्का है।

ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी : Tiny Lamps लघु दीप – 20

ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी – शताब्दियों पुरानी रामचरितमानस प्रति में? क्या ‘शूद्र’ पर अत्याचारों का नरेटिव स्थापित करते समय इस चौपाई के साथ छेड़छाड़ की गयी?

रामजन्म, सहस्रो वर्ष और चार कवि

श्रीराम जन्म का वर्णन वाल्मीकि से प्रारम्भ हो मराठी भावगीत तक आते आते आह्लाद और भक्ति से पूरित होता चला गया है। भगवान वाल्मीकि बालकाण्ड में संयत संस्कृत वर्णन करते हैं: कौसल्या शुशुभे तेन पुत्रेण अमित तेजसा ।  यथा वरेण देवानाम् अदितिः वज्र पाणिना ॥ १-१८-१२ जगुः कलम् च गंधर्वा ननृतुः च अप्सरो गणाः ।…