हम क्यों नहीं?
चिकनी हुई भूमि में फँसा चक्का घूमता हुआ भी केवल कीचड़ ही फेंक पाता है। हमें यह सोच कर इससे निकलना ही होगा कि दूसरे ही क्यों, हम क्यों नहीं?
चिकनी हुई भूमि में फँसा चक्का घूमता हुआ भी केवल कीचड़ ही फेंक पाता है। हमें यह सोच कर इससे निकलना ही होगा कि दूसरे ही क्यों, हम क्यों नहीं?
मानवता के सामने आये कठिनतम समय का उजला पक्ष यह है कि मृत्योर्माऽमृतङ्गमय, और तमसो मा ज्योतिर्गमय के संदेश का देश आशामय है और संसार की सर्वाधिक गहन तथा दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या के बावजूद न केवल रोग को नियंत्रण में रखे हुए है बल्कि अपने देश के साथ-साथ पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी आपदाग्रस्त देशों से सफलतापूर्वक बाहर निकालकर लाया है।
देश की परिभाषा बहुसंख्यक जनता के हितों से आती है। हम देश को मिस्र के अति सम्पन्न एवं शिल्प कौशल में समय के कीर्तिमान किन्तु मृत जन को संरक्षित रखते पिरामिडों के समान तो नहीं बनाना चाहते न?