भारती संवत संवत्सर नाम

भारती संवत : संवत्सर नाम, मास एवं तिथियाँ (१, महाश्रावण, मास तप)

भारती संवत : संवत्सर नाम – इस वर्ष अस्त के पश्चात गुरु का उदय श्रावण नक्षत्र में होगा, अत: यह संवत्सर हुआ – महाश्रावण। मास : तप-मृगशिरा।
भारती संवत में महीना पूर्णिमा से आरम्भ हो कर शुक्ल चतुर्दशी को समाप्त होगा।
तिथि का गणित वही रहेगा जो है किन्तु यदि तिथि परिवर्तन सूर्योदय से सूर्यास्त के पूर्व कभी भी हो गया तो उस दिन वह तिथि मान ली जायेगी, भले उदया न हो। उदाहरण के लिये, कल पूर्णिमा सूर्य के रहते ही हो गई थी, अत: पूर्णिमा कल की मानी जायेगी।

अयनांत विशेषाङ्क : भारती संवत – १, गुरु-शनि युति, विषम विभाजन व अभिजित

अयनांत विशेषाङ्क : भारती संवत – १, गुरु-शनि युति, विषम विभाजन व अभिजित

नक्षत्रों के नाम देखें तो स्पष्ट होता है कि बहुधा उनके नाम योगताराओं के या मुख्य तारकों की समूह आकृतियों के आधार पर रखे गये। यथा चित्रा का योगतारा spica क्रांतिवृत्त के निकट का प्रकाशमान तारा है तथा मात्र आधे अंश के देशांतर भेद पर स्थित स्वाति के अति प्रकाशमान योगतारा से मिल कर सरल अभिज्ञान के साथ साथ सु+अति (अत्युत्तम) की सञ्ज्ञा का पात्र है। मृगशिरा निकटवर्ती त्रिकाण्ड से मिल कर वास्तव में एक मृग के सिर की भाँति प्रतीत होता है। कृत्तिका के छ: तारे एक गँड़ासी की आकृति बनाते हैं जोकि काटने में प्रयुक्त होती है। साथ ही कृत्तिका के देवता अग्नि की भाँति ही वह समूह आकाश में दप दप करते प्रतीत होते हैं।