RGTS Professor, Electrical and Computer Engg.
Oklahoma State University
पद्मश्री सम्मानित आचार्य सुभाष काक की कवितायें पढ़ना उनके बहुआयामी व्यक्तित्त्व के एक अनूठे पक्ष को उद्घाटित करता है। इन क्षणिकाओं में युग समाये हैं, शब्द संयम में जाने कितने भाष्य। लयमयी रचनाओं में जापानी हाइकू सा प्रभाव है जो प्रेक्षण एवं अनुभूतियों की सहस्र विमाओं में पसरा है।
भारतीय साहित्य हमें विज्ञान के इतिहास के सम्बन्ध में उपयुक्त एवं स्तरीय साक्ष्य उपलब्ध करवाता है। इस इतिहास की कालानुक्रमिक समय रेखा पुरातात्विक अभिलेखों से प्राप्त होती है। जिसका अनुरेखण लगभग ७००० ईसा पूर्व की एक अविभक्त परम्परा द्वारा प्रस्तुत किया जा चुका है।
प्रतीत होता है कि सौर राशि चिह्नों को आज जैसा हम जानते हैं, उनका उद्भव भारत में हुआ जहाँ उनका सम्बन्ध नक्षत्रों के अधिष्ठाता देवताओं से है।
बेबीलॉन गणित साठ (60) पर आधारित गणना पर निर्भर करता है, जिसका अर्थ है कि उसमें स्थानिक मान तंत्र का आधार 60 है। बेबीलॉन की गणितीय परंपरा की यह मुख्य विशेषता मानी जाती है। बेबीलॉन नववर्ष वसन्त विषुव के साथ अथवा उसके अनन्तर आरम्भ होता है।
भारत के प्रारम्भिक वर्षों में शतवर्षीय पञ्चाङ्ग का अस्तित्व था, जिसका 2700 वर्षों का चक्र होता था। इसे सप्तर्षि पञ्चाङ्ग कहा जाता था।
वे सभी विचार मिथ्या सिद्ध हो जाते हैं जो कहते हैं कि भारतीय ज्योतिष मेसोपोटामिया या ग्रीस से भारत में प्रसारित हुई किसी धारा पर आधारित है। ज्योतिष के प्रसिद्ध विद्वान बी एल वान देर वैरडेन ने 1980 के एक पत्र Two treatises on Indian astronomy में इस विवाद पर अपने विचार प्रस्तुत किए ।
यह बात सब जानते हैं कि यन्त्रों का क्रमिक विकास (Evolution) जैविक क्रमिक विकास से कहीं तीव्र है, अत: यह आशङ्का है कि मनुष्य चेतनापूर्ण मशीनों की गति से प्रतियोगिता करने में सक्षम नहीं है। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि बहुत सी वैज्ञानिक एवं तकनीकी मेधायें दृढ़ता पूर्वक कह रही हैं कि कृत्रिम प्रज्ञान (Artificial Intelligence) मानवता को विध्वंस की ओर धकेल रहा है।
भारत से पश्चिम की दिशा में दो प्रमुख पथ थे। पहला ईरान तथा आगे की ओर, जहाँ सीरिया के संस्कृत नामधारी मितानी (Mitanni) शासक शताब्दियों तक राज्य करते रहे। दूसरा पथ यूरेशियन समभूमि तक जाने वाला मार्ग था जहाँ जाट और अन्य शक थे जो बौद्ध ग्रंथों का प्रसार चीन में, तथा पश्चिम दिशा में यूरोप में वैदिक ज्ञान का प्रसार किये।
Uttar Kuru and Jats : जब अरब सिंध में प्रविष्ट हुये, तब जाट वहाँ की प्रमुख जाति थे जो सिंध, अफ़ग़ानिस्तान, और उनसे भी आगे तक फैले हुए थे।
A Note on Caste जाति पर एक बात : ब्राह्मण, योद्धा, व्यापारी एवं सामान्यजन ज्ञान प्राप्ति हेतु समानरूप से प्रभावशाली कहे गए हैं। इसे ज्ञानयोग, कर्मयोग, राजयोग एवं भक्ति योग के में भी प्रतिबिंबित किया गया है। यहां तक कि सरस्वती पूजा, दशहरा, दिवाली एवं होली भी भिन्न प्रकार की प्रवृत्तियों को उत्सव के रूप में मनाना है।
यास्क द्वारा ‘गौ’ के दिये गये अर्थों का अनुक्रम देखें तो हमें भारत में गाय की पवित्रता से सम्बंधित प्रश्न का उत्तर मिल जाता है। गाय पृथ्वी की पवित्रता का प्रतीक है। यवनों ने भी पृथ्वी को गाय के प्रतीक में ही देखा, गाइया।
आर्य-ईरानी क्षेत्र में मिस्री-भारतीय सम्पर्क की स्मृति अभी बाकी है। अपनी पुस्तक तारीख़-अल-हिंद में युद्ध के रथों की बात करते समय ईरानी विद्वान अल-बरूनी यवनों द्वारा इन रथों के प्रथम प्रयोग के दावे को गलत ठहराता है। अल-बरूनी के अनुसार उस क्षेत्र में ऐसे रथों का प्रथम निर्माण जल-प्रलय के 900 वर्ष बाद मिस्र के हिंदू शासक एफ्रोडिसियोस (Aphrodisios) द्वारा किया गया था।
सुभाष काक सम्भवत: किसी और नृवंश ने यज़िदी लोगों जैसा संत्रास नहीं झेला है। ईराक़ में अल-क़ायदा ने उन्हें काफिर घोषित कर उनके सम्पूर्ण नरसंहार की अनुमति दी। 2007 में सुनियोजित कार बमों की शृंखला ने उनमें से लगभग 800 की हत्या कर दी। इस्लामिक स्टेट ने 2014 में यज़िदी नगरों और गाँवों के विनाश…