नाम अमरकोश से : लघु दीप – ३६
चन्दन आदि को घिसने से उत्पन्न सुगन्धि को परिमल कहते हैं।
दूर तक पसरने वाली सुगन्ध को समाकर्षी एवं निर्हारी नाम दिये गये हैं।
सुगन्धि के चार नाम हैं – सुरभि, घ्राणतर्पण, इष्टगन्ध एवं सुगन्धि।
मुख को सुगन्धित करने वाले द्रव्य आमोदी एवं मुखवासन कहे गये हैं।
दुर्गन्ध के दो नाम हैं, पूतिगन्धि एवं दुर्गन्ध।
कच्चे मांस की गन्ध को विस्र एवं आमगन्धि नाम दिया गये हैं।