काशी में मोदी – सोशल मीडिया से : Tiny Lamps लघु दीप – 21

काशी में चल रहे विकास को ले कर आज कल लोग दो भागों में बँटे हुये हैं, कुछ समर्थन में हैं तो कुछ विरोध में। विकास कार्य जिस विश्वनाथ मन्दिर क्षेत्र में हो रहे हैं, उससे बहुत दूर लंका क्षेत्र में पुनर्निर्माण हेतु एक पुराने भवन को स्वामी द्वारा गिराये जाने एवं नवनर्माण के समय खुदाई के समय मिले अनेक अनगढ़ शिवलिंगों के मिलने से राजनीति तप उठी।

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Long-Legged Buzzard मुसमार चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश, November 30, 2018

Long-Legged Buzzard मुसमार

Long-Legged Buzzard मुसमार एक जड़ एवं स्थूल शरीर का पक्षी है जो किसी वृक्ष या टीले पर शान्‍त बैठा रहता है। देह का ऊपरी भाग पिङ्गल (भूरा),  डैने के सिरे तनु कृष्णाभ पिङ्गल एवं नीचे का भाग श्वेत।  उड़ते समय इसकी गोल पूँछ पसरी रहती है।

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Valmiki Ramayan Sundarkand Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण

Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण -38, सुन्‍दरकाण्ड [सामर्थ्यादात्मन: च]

देवी सीता के वचन सुन कर वाक्यविशारद कपिश्रेष्ठ हनुमान को सन्तोष हुआ एवं कहने लगे,” हे शुभदर्शना देवी ! आप ने जो कुछ कहा वह एक साध्वी एवं विनयसम्‍पन्न स्त्री के स्वभाव अनुसार है। पीठ पर अधिष्ठित हो विस्तीर्ण शतयोजनी सागर पारने में एक स्त्री समर्थ नहीं ही होगी।

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मुल्ला नसीरुद्दीन, विक्रमादित्य और ज्योतिष – प्रतीकों उलझी एक कहानी

मुल्ला नसीरुद्दीन, विक्रमादित्य और ज्योतिष …सूर्य के खगोलीय-अयन से संबंधित ज्योतिष की यह घटना भारतीय साहित्य में एक रोचक कथा का रूप धारण कर चुकी थी।

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Demographic Jihad जनसंख्या जिहाद की चपेट में भारत

देश एक दिन में नहीं कटते बँटते, सरल भी नहीं होता किन्‍तु यह दारुण सत्य है कि किसी देश में मूलवासियों के धर्म, संस्कृति एवं आस्था का मर्दन करने के साथ साथ आक्रामक विनाशी विचारों की बाढ़ हो तथा बहुविध सुनियोजित षड्यंत्रों, योजनाओं के साथ उदारता एवं विधि विधानों का पूर्ण लाभ लेते हुये समूह लगे रहें तो विखण्डन साध्य हो जाता है। भारत इस सत्य का बड़ा प्रमाण है।

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Illusory superiority ऐंद्रजालिक वरिष्ठता : सनातन बोध – 42

आधुनिक मनोविज्ञान के अनेकों अध्ययन निर्विवाद रूप से इस बात को सिद्ध करते हैं कि मनुष्य संज्ञानात्मक पक्षपात से अंधे होते हैं। मानसिक रूप से इस अंधेपन के साथ-साथ हमारे हठी एवं अतार्किक होने के भी प्रमाण मिलते हैं। यदि मनुष्य तार्किक एवं ग्रहणशील होते तो उन्हें तथ्यों को पढ़-समझ कर सत्य का आभास हो जाता तथा स्वयं की भ्रामक मान्यताओं को सुधारने में सहजता होती। परंतु ऐसा होता नहीं !

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