नावक के तीर
यह धनुष राजभर समुदाय में बहुत प्रचलित रहा है। पुराने समय में लगभग हर राजभर युवा पहलवानी, लाठी बाजी, तलवारबाजी और इस धनुष का अभ्यास करता था।
आपणी बात : रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा
आशा है कि भारत में और वैश्विक स्तर पर भी उभरे रक्षा, सुरक्षा और संरक्षण के स्वर आने वाले वर्षों में इस संकट के उन्मूलन में सफल होंगे और मानव की स्वयं को समृद्ध और सुखी बनाने वाली नवोन्मेषी यात्रा ऐसे ही नये लक्ष्य अर्जित करती रहेगी।
अमेरिका में हिन्दी
अमेरिका में हिन्दी शिक्षण की एक बड़ी ज़िम्मेदारी ऐसी संस्थाओं द्वारा उठाई जा रही है जिन्हें आमतौर पर हिन्दी सेवी श्रेणी में नहीं गिना जाता है। इन संस्थाओं में भारतीय संस्कृति से लेकर धर्म और अध्यात्म के लिये काम करने वाली संस्थायें हैं।
अवधी चिरइयाँ : कोटुर (Psilopogon zeylanicus)
हरे और भूरे वर्ण के कोटुर (Megalaima zeylanicus or Psilopogon zeylanicus) पक्षी प्राय: अकेले ही पाये जाते हैं किंतु फल उद्यानों में 20 की संख्या तक के झुण्ड में भी देखे गये हैं। ये शीत ऋतु में लगभग चुप रहते हैं किंतु ग्रीष्म ऋतु में लगातार कुटरू कुटरू की ध्वनि निकालते रहते हैं।
साफ-सफाई : सांस्कृतिक कर्तव्य और गुण
आत्मा का मैल हटाने का श्रेष्ठ उदाहरण है क्यों कि बारंबार घर बाहर में सफाई होती देख यह दृष्टांत हमारी सांस्कृतिक कहानियों का अंतर्निहित तत्व भी बनकर उभरा।
अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक अर्थव्यवस्था: भाग – 1
एक समय में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संधियाँ वणिकराष्ट्रवाद के यथार्थवादी सिद्धांत पर की जाती थीं जिसके अनुसार कोई देश किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था के नियमों को न मानकर वही निर्णय लेता था जो उसके हित में हो।
बनारस की गलियाँ : एक चित्रलेख
आप एक सिरे से बनारस की गलियों में गायों, भगवान शंकर के सुस्त वाहन नंदी महाराज से बचते बचाते चले जा रहे हैं तभी अचानक से भीड़ का एक रेला चीखेगा-बच के रेऽऽऽ! पता चला कि नंदी महाराज रौद्र रूप में हैं।