अवधी चिरइयाँ : कोयल (Eudynamys scolopaceus)
कोयल सम्पूर्ण भारतवर्ष का स्थाई पक्षी है परन्तु अधिक ऊँचाई वाले पहाड़ों पर नहीं पाया जाता। इसे मैदान के वन उपवन और पेंड़ों के झुरमुट ही अधिक प्रिय हैं। इन्हीं स्थानों पर थोड़ा बहुत स्थान परिवर्तन करता है परन्तु बाहर नहीं जाता। यह घनी अमराइयों और बागों में पेड़ों पर ही रहने वाला पक्षी है और भूमि पर पर नहीं उतरता है। घने पेड़ों के बीच छिपकर ही रहता है जिसके कारण दिखाई भी बहुत कम पड़ता है। यह बरगद, पीपल, पाकड़ और अंजीर के फलों के अतिरिक्त कीट पतंगे खाकर अपना पेट भरता है।
भारतीय कृषि, कोई है खेवनहार?
इस शताब्दी के तीसरे चौथे दशक में भारतीय कृषि के सामने विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या का पेट भरने की चुनौती होगी। चुनौती का अर्थ मात्रा और गुणवत्ता दोनों से है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य से जुड़ते हैं। वास्तविकता यह है कि जितना ध्यान अन्य क्षेत्रों पर है उसका अल्पतम भी इस क्षेत्र पर नहीं है।…
आणविक जैविकी, DNA डी.एन.ए. एवं ऋग्वेद से अनुमान
कुछ भारतीय शास्त्रज्ञों जैसे कि डॉ. चन्द्रशेखर त्रिवेदी आदि का मानना है कि ऋग्वेद में वर्णित त्वष्टा, विवस्वत या विश्वरूप वास्तव में डी.एन.ए. ही हैं। कुछ का मानना है कि जल के आयनीकरण से धनावेशित प्रोटान और ऋणावेशित हाइड्राक्सिल आयन के बनने की चर्चा ऋग्वेद में है:
देवानाम्.माने.प्रथमा.अतिष्ठन्.कृन्तत्राद्.एषाम्.उपरा.उदायन्।
त्रयस्.तपन्ति.पृथिवीम्.अनूपा.द्वा.बृबूकम्.वहतः.पुरीषम्॥ (10.27.23)
विलम्ब से किस्त (EMI) भरने पर सिबिल अङ्क (CIBIL Score) पर प्रभाव
यदि आपका क्रेडिट कार्ड का बिल बाकी है और उसे आप आगे जारी नहीं रखना चाहते हैं तो जानबूझ कर विलम्ब कर कमी बेसी ‘सैटल’ करने के स्थान पर पूरा पैसा भरिये और बंद करवाइये। आप अपने किसी भी ऋण की किश्त यदि विलम्ब से भरते हैं तो भी बैंक या वित्तीय संस्था आपके इस व्यवहार को सिबिल में दी जाने वाली लेन-देन रिपोर्ट के रूप में सम्मिलित कर देते हैं।
ब्रह्माण्ड से महाकैलास तक की अनन्त यात्रा
यह विवरण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सिद्धांत बिग बैंग के ठीक उलट ‘बिग क्रंच’ कहे जाने वाले प्रतिपादन की ओर संकेत करता है। पॉल स्टाइनहार्ट और नील टुरोक के सिद्धांत के अनुसार तरंगों के रूप में कई ब्रह्माण्ड विद्यमान हैं और जब भी एक ब्रह्माण्ड की परत दूसरे से स्पर्श होती है तब वहाँ कृष्ण विवर (ब्लैक होल) बन जाता है और यह दूसरे ब्रह्माण्ड तक जाने का मार्ग होता है। यह तभी सम्भव है जब पदार्थ पूर्ण रूप से ऊर्जा में परिवर्तित हो सूक्ष्म क्वॉन्टम अवस्था में गमन करे। इस अवस्था में स्थूल शरीर नहीं केवल ऊर्जा रूपी प्राण होता है।
सनातन धर्म का प्रसार आवश्यक – 1:[मूल – मरिया विर्थ, अनुवाद – भूमिका ठाकोर]
एक छोटे बावेरियन प्राथमिक विद्यालय में रहते हुये मैं जानती थी कि भारत में घोर जाति प्रथा एवं अस्पृश्यता विद्यमान है। हम निर्धन और दयनीय भारतीयों के चित्र देखते थे और वे हम पर अपने अमिट प्रभाव छोड़ते थे। उस समय मैं जर्मनी में हुये यहूदियों और जिप्सियों के सर्वनाश के बारे में कुछ नहीं जानती थी।