नागरिक स्वतन्त्रता की सिद्धि क्या है?
चीन की सीमायें भारत से नहीं मिलतीं, तिब्बत की मिलती हैं। यदि आप मानचित्र देखें तो समझ पायेंगे कि सारी उत्तरी सीमा पर तिब्बत चीन एवं भारत के बीच एक ‘बफर’ था। बौद्ध धर्म चीन एवं तिब्बत दोनों को भारत से मिला। भारत एवं चीन दोनों अति प्राचीन सभ्यतायें हैं एवं उनके आपसी सांस्कृतिक सम्बंध…
हुदहुद Upupa epops (खटोला, नवाह, नउनिया) : अवधी चिरइयाँ
वैज्ञानिक नाम: Upupa epops हिन्दी नाम: हुदहुद, खटोला, नवाह, नउनिया (भोजपुरी) संस्कृत नाम: पुत्रप्रिय अंग्रेजी नाम: Common Hoopoe / Eurasian Hoopoe चित्र स्थान और दिनाङ्क: सरयू नदी के पास माझा अयोध्या, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश। 28/08/2017 छाया चित्रकार (Photographer): आजाद सिंह Kingdom: Animalia Phylum: Chordata Class: Aves Order: Bucerotiformes Family: Upupidae Genus: Upupa Species: epops Category:…
सुख, विभेदकारी बुद्धि एवंं उपद्रष्टा आत्मरूप : सनातन बोध – 15
हमारा नित्य आत्मरूप (true self) है क्या? अनुभूति और स्मृति आत्मरूप तो नहीं? और यदि ये अनुभूति और स्मृति आत्मरूप हमारे गुणसूत्रों में ही अंतर्निहित हैं तो इससे केवल यह पता चलता है कि हमारे गुणसूत्र भी हमारे नित्य आत्मरूप नहीं है, हमारा वास्तविक आत्मरूप इससे परे है एवं इस संज्ञानात्मक पक्षपात से बचने के लिये हमें उस वास्तविक स्वरूप का चिंतन करना चाहिए। श्वेताश्वतरोपनिषद, मुण्डकोपनिषद तथा कठोपनिषद में वर्णित दो पक्षियों की उपमा वाला यह दर्शन मूलत: ऋषि दीर्घतमा औचथ्य द्वारा दर्शित ऋग्वेद की ऋचा (1.164.20) का यथारूप है।
व्यापक दृष्टि रखें, समूह-वैचारिकता से बचें, इतिहास की स्मृति रखें look at the big picture
बहुत ही कम लोग हैं जो इस तरह की स्वतंत्र जाँच में नियमित आधार पर संलग्न होते हुये अपने मानसिक संतुलन को बनाए रख सकते हैं…यदि कोई दावा करता है कि 2030 में मानव समाज में सौर ऊर्जा, ऊर्जा उत्पादन तथा उपभोग का प्रमुख रूप होगी (और किसी ने किया भी है ), तो मैं इस तरह के दावे का आधार खोजना चाहूँगा, यदि कोई आधार है तो तथा यह भी देखना चाहूँगा कि उपभोग की सामयिक प्रवृत्ति क्या इसकी सम्भावना बताती है? कोई भी घटना केवल इसीलिये नहीं घटित होगी कि कुछ चतुरमना भविष्य में उसके घटने में विश्वास करते हैं!!!
आदिकाव्य रामायण से – 20 : सुंदरकाण्ड, [न हि मे परदाराणां दृष्टिर्विषयवर्तिनी]
आदिकाव्य रामायण – 19 से आगे … आगे बढ़ते हनुमान जी को पानभूमि में क्लांत स्त्रियाँ दिखीं, कोई नृत्य से, कोई क्रीड़ा से, कोई गायन से ही क्लांत दिख रही थी। मद्यपान के प्रभाव में मुरज, मृदङ्ग आदि वाद्य यंत्रों का आश्रय ले चोली कसे पड़ी हुई थीं – चेलिकासु च संस्थिता:। रूप कैसे सँवारा…