आदिकाव्य रामायण से – 29, सुन्दरकाण्ड [तथा सर्वं समादधे]
आदिकाव्य रामायण : सुंदरकांड: तिरछे देखा, उचक कर ऊपर देखा, किञ्चित नीचे देखा। पिङ्गाधिपति सुग्रीव के अमात्य, अचिन्त्य बुद्धि सम्पन्न वातात्मज हनुमान उदित होते सूर्य की भाँति दिख गये। सा तिर्यगूर्ध्वं च तथाप्यधस्तान्निरीक्षमाणा तमचिन्त्यबुद्धिम् सूर्यवंशी श्रीराम के दूत हनुमान आन पहुँचे थे। दु:खों की रजनी बीत चुकी थी।
धर्मचक्रप्रवर्तन पूर्णिमा पर कुछ यूँ ही
धर्मचक्रप्रवर्तन पूर्णिमा : सहस्राब्दियों तक जिसकी अनुगूँज सम्पूर्ण विश्व में प्रतिध्वनित होनी थी, उसके श्रोता हाथ की अंगुलियों की संख्या इतने ही थे। समर्पण युक्त उत्सुकता का फलित होना भारतीय वाङ्मय की विशेषता है।
अपरिग्रह एवं Paradox of Choice , सनातन बोध – 26
अपरिग्रह एवं Paradox of Choice : अत्यधिक संचय एवं जहाँ आवश्यक नहीं हो वहाँ भी अधिक से अधिक विकल्पों को एकत्रित कर रखना। वस्तुयें हों या विचार या व्यक्ति – सञ्चय एवं आसक्ति। अपरिग्रह से पहले के चार यम कुछ इस प्रकार हैं जो मानों हमें अपरिग्रह की इस अवस्था के लिए सन्नद्ध कर रहे हों।
लघु दीप अँधेरों में tiny lamps – 8
लघु दीप अँधेरों में : जो उद्योग करने के समय उद्योग न करने वाला, युवा एवं बली हो कर भी आलस्य से युक्त होता है, जिसने उच्च आकांक्षाओं को छोड़ दिया है एवं जो दीर्घसूत्री है, वह आलसी प्रज्ञा के मार्ग को प्राप्त नहीं होता।
White Breasted Kingfisher किलकिला
White Breasted Kingfisher, White Throated Kingfisher, Smyrna Kingfisher, किलकिला, श्वेतकंठ कौडिल्ला, चंद्रकांत मीनरंक, धीवर। भारत का एक सुन्दर सा पक्षी है। सुन्दर रंगों को लिए ये पक्षी शोरगुल भी बहुत करता है। पढ़िए इस बार आजाद सिंह की अवधी चिरईया शृंखला में इसके बारे में।