सागर तट पर (श्रीलंका)
विहान में तट पर पछाड़ खाती लहरें,
नहीं डुबो पातीं श्वान की चीत्कार को,
न ही पवन के रविरश्मि गान उसे चुप कर पाते।
विहान में तट पर पछाड़ खाती लहरें,
नहीं डुबो पातीं श्वान की चीत्कार को,
न ही पवन के रविरश्मि गान उसे चुप कर पाते।
लिखा है मेरी देह पर, प्रीतम का नाम
धुल जायेगा, न करूँ स्नान
सब पहनेंगे स्वच्छ वस्त्र, कल उत्सव के दिन
पहनूँ मैं वे ही मैल कुचैल, प्रियतम के सब गन्ध
क्षमाभाव (forgiveness) का आधुनिक मनोविज्ञान में विशेष स्थान है, विशेष रूप से मनोचिकित्सा उपचार एवं परामर्श (therapy and counselling) में।
शब्द यदि शिव है, तो अर्थ ही उसकी शक्ति है। निरर्थक शब्द अप्रयुक्त माने जाते हैं, साथ ही अर्थज्ञान से रहित को यास्क ने ठूँठ कहा है। यास्क कहते हैं,कि जैसै बिना ईंधन के अग्नि नहीं जल पाती है, उसी प्रकार अर्थज्ञान के विना शब्द प्रयोग व्यर्थ है
हम सीढ़ियाँ हैं
रौंदते हो जिन्हें
प्रतिदिन तुम
ऊँचे उठने को।
तब तुम
न रुकते कभी,
न देखते कभी मुड़।
…
तुम्हारे पाँव भी फिसलेंगे
एक दिन,
हमायूँ की भाँति।
घर लौटते ही – उसी क्षण
मैं भूल जाता हूँ – पूर्णत:
कि
इस साम्राज्य में है
न तो सूरज का प्रकाश
और न आकाश।
मर कर भी मैं निर्वासित था
उन्होंने मेरे अवलम्ब प्रलेख भी पूरे न लिखे
मर कर भी मेरे पास
आवास अनुमति पत्र न था ।
उन्होंने मेरी मौत लिख दी है
उन्होंने मेरी मौत मरुत पर लिख दी है
उन्होंने … उन्होंने… उन्होंने मेरी मौत जल पर भी लिख दी है
क्यों कि जब मैं नहीं रहूँगा, और तुम वियोगसिक्त,
जब मैं हो रहूँगा तुम्हारी पहुँच से दूर बहुत
तुम्हारे अनसुने शब्द हो रहेंगे तिरोहित मात्र,
तुम्हारी ऊष्मा हो रहेगी यूँ ही शीतल
और बेड़ियों में बच रहेगा तुम्हारा स्व शोकार्त।
अत: जब हो सक्षम, मुझसे करो प्यार!!!
मैं सोचने लगा कि इतनी प्रेममयी बुआ से हमें सदा उपेक्षा ही क्यों मिली? क्या पिता की निर्धनता बुआ के प्रेमभाव पर ग्रहण लगने का कारण थी?
मुस्लिम फैज़ खान को अयोध्या भूमि पूजन में भाग नहीं लेना चाहिये, AS A MUSLIM, FAIZ KHAN SHOULD NOT BE PART OF BHOOMI PUJAN IN AYODHYA – Maria Wirth, ललित कुमार
आज श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को सभी संस्कृतप्रेमी संस्कृत-दिवस का आयोजन कर रहे हैं। कहा गया है- “संस्कृति: संस्कृताश्रिता” अर्थात् भारत की संस्कृति संस्कृत भाषा पर ही आश्रित या निर्भर है।
ऋग्वेद के प्रथम सूक्त के दो शब्दों का व्यवहार केवल तमिल-तेलुगू में होता है – दोषा = रात, वस्ता = दिन। इसकी वृद्धि कर्णाटक में हुयी।
Gerontology जराविज्ञान – अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं ॥… देहे कौमारं यौवनं जरा।
Red Collared-dove अरुण कपोतक भारत वर्ष के पण्डुक पक्षियों में अकेला है जिसमें नर और मादा पक्षी रङ्ग-रूप में भिन्न होते हैं। इसका शरीर लालिमा युक्त पाटल वर्णीय होता है।
Sundarkand रामपत्नीं यशस्विनीम् – – मैंने पिघले कञ्चन के समान सुंदर वर्ण वाली सीता को देखा। उन कमलनयनी का मुख उपवास के कारण कृश हो गया था।
लिंग के निम्न अर्थ प्राप्त हैं— चिह्न, लक्षण, प्रतीक, परिचायक। प्रमाण के साधन। स्त्री/पुरुष वाची शब्द। देव-प्रतीक प्रतिमा नहीं प्रतीक है।
आप के यहाँ गुम्बद कभी नहीं था, कलश कुम्भ के वास्तु आयाम अनेक थे, इस बात का ध्यान रखते हुये शिखर हेतु शिखर शब्द ही प्रयोग में लायें, इससे आप दक्षिण से भी जुड़ जाते हैं।
Laughing Dove छोटी फाख्ता, फाख्ता पक्षी की सबसे छोटी प्रजाति है, जिसका आकार लगभग १० इंच होता है। इसका प्रजनन काल लगभग पूरे वर्ष भर होता है।
Boredom बोरियत नीरसता ऊब – नीरसता, विरक्ति जैसे पर्याय मिल सकते हैं पर boredom जैसी चिरकालिक मानसिक अवस्था का सनातन दर्शन में अभाव ही रहा।
निर्माण में समय लगता है, ध्वंस में नहीं। निर्माण में नहीं लगेंगे तो एक दिन ध्वस्त हो ही जायेंगे – यह सार्वकालिक व सार्वभौमिक सच है। हमें अपनी ‘सचाइयों’ में आमूल-चूल परिवर्तन करने ही होंगे, और कोई उपाय नहीं। ट्विटर या फेसबुक पर रुदाली गाना तो किसी भी दृष्टि से विकल्प नहीं, आकाओं के कान हैं ही नहीं!