भारतीय मुसलमान एवं लड्डूगोपाल

समर्पणवादी बौद्धिकता का ऐसा उदाहरण विश्व इतिहास में ढूँढ़े नहीं मिलेगा। इसके दबाव में शिक्षित और बुद्धिजीवी वर्ग का बहुत बड़ा भाग ऐसा है जो नाम से हिंदू है परंतु अपने को हिंदू कहने में लज्जित अनुभव करता है। … भारतीय मुसलमान स्वयं मुसलमान बने रहते हुए हिन्दू प्रत्याशियों को ‘सेक्युलर’ होने  का प्रमाणपत्र बाँटता या छीनता रहता है।

वीर सावरकर — 1

बेड़ियों में बद्ध सावरकर ने हँसते हुए अंग्रेजी में उससे कहा, “नियति ने मुझे और तुम्हें पुन: मिलाया है जॉन। तुम्हें नासिक के भगूर गाँव की उस साँझ की स्मृति होगी, जब तुम ने गाँव के खेलते हुए बच्चों के हाथ से एक असि छीनी थी और कहा था यदि यह पूर्वजों की पराक्रमी असि तुम्हारी है तो कुछ पराक्रम कर दिखाओ! तो कहो मेरा पराक्रम कैसा लगा है तुम्हें?

Sanaatan Emerges as Science Moves On, Painful for the Scientist? सनातन बोध – 36

Post Modern Science Discoveries Resemblance to Sanaatana Knowledge. Is it Painful for Scientist? “…the main influence (on my work) is coming from Indian philosophy. I don’t know why. When I read it, I see that it very strongly fits into some quite modern schemes which appear in cosmology. …Many centuries before Greek philosophy appears, there were clever people who were just sitting and thinking — a lot of schools of people with very deep and profound thinking.” says Prof. Andrei Dmitriyevich Linde.

Rose-ringed Parakeet, Ring-necked Parakeet, तोता, राज शुक। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू आर्द्र भूमि, माझा, अयोध्या फैजाबाद, उत्तर प्रदेश, September 19, 2018

Rose-ringed Parakeet / तोता / राज शुक

Rose-ringed Parakeet तोता अकेला ऐसा पक्षी हैं जो अपने भोजन को पैरों से पकड़कर चोंच तक ले जाता हैं। इनकी कर्कश प्रजनन काल में तनिक मधुर हो जाती है। तोते नीड़ का निर्माण नहीं करते हैं। अपितु तने के कोटर आदि में निवास करते हैं।

Gundestrup Cauldron

Gundestrup Cauldron Indian Connection गूण्डेस्ट्रप भगौने का भारत से सम्बन्ध

भारत से पश्चिम की दिशा में दो प्रमुख पथ थे। पहला ईरान तथा आगे की ओर, जहाँ सीरिया के संस्कृत नामधारी मितानी (Mitanni) शासक शताब्दियों तक राज्य करते रहे। दूसरा पथ यूरेशियन समभूमि तक जाने वाला मार्ग था जहाँ जाट और अन्य शक थे जो बौद्ध ग्रंथों का प्रसार चीन में, तथा पश्चिम दिशा में यूरोप में वैदिक ज्ञान का प्रसार किये।

पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष – अन्धविश्वास नहींं, अमरत्व का आयोजन है।

देवताओं के समान्‍तर पितरों का अस्तित्त्व वृत्तीय सममिति में बना ही रहता है मानों ‘यिन यान’ हो । दिन देव, रात पितर; शुक्ल देव, कृष्ण पितर; उत्तरायण देव, दक्षिणायन पितर; देवयान पितृयान … सन्‍तुलित श्रद्धा के बहुआयामी विवरण विविध स्रोतों में मिलते हैं।