आदिकाव्य रामायण से – 28, सुन्दरकाण्ड […प्रणष्टं, वर्षेण बीजं प्रतिसंजहर्ष]
काली पुतली, रक्ताभ कोर वाली स्वच्छ सुंदर आँखों की फड़कन का सौंदर्य दर्शाने के लिये आदिकवि ने अद्भुत कोमल प्रभावमयी उपमा का सहारा लिया है – सजल आँखें सरोवर भाँति जिसमें कमल एवं तैरती मछली, सहसा ही चित्र खिंच जाता है। क्षण को शब्दकारा में बन्दी बना लेना इसे कहते हैं।