आश्विन (अधिक) अमावस्याङ्क, २०७७ वि., वर्ष-५, अङ्क-९३, शुक्रवार,
प्रमाथी, विक्रम सम्वत,
16/10/2020, Friday
motivated reasoning – अभिप्रेरित विचार अर्थात् उन बातों के लिए कारण ढूँढना जिनमें उन्हें विश्वास होता है, व्यक्ति की प्रवृत्ति होती है। अनेक वैज्ञानिक सिद्धान्तों के सत्य होने के प्रत्यक्ष प्रमाण होते हुए भी बहुधा लोग उन पर विश्वास नहीं करते। इसके विपरीत उन मान्यताओं पर सहज ही विश्वास कर लेते हैं जिनका कोई तार्किक आधार नहीं होता, जैसे – पृथ्वी चपटी है। यह प्रक्रिया नई नहीं है जिसे चर्च और तत्कालीन समाज की गैलीलियो एवं चार्ल्स डार्विन के सिद्धांतों के प्रति प्रतिक्रियाओं से जाना जा सकता है। यहाँ रोचक बात यह है कि लोगों को समस्या विज्ञान से नहीं, परंतु इस बात से होती है कि स्वयं की विचारधारा या संसार के प्रति दृष्टिकोण में परिवर्तन उन्हें स्वीकार्य नहीं होता।
Phragmites karka नल नरकुल – गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥ अनागतप्पजप्पाय, अतीतस्सानुसोचना। एतेन बाला सुस्सन्ति, नळोव हरितो लुतो’’ति॥
ऐतिहासिक बुद्ध जिस धरती पर जन्मे थे, वहाँ नरकुल की बहुलता थी। उनके उपदेशों में तो चर्चा है ही, इतर बौद्ध वाङ्मय में नळ के उल्लेख से तत्कालीन समाज में इस वनस्पति के बहुविध उपयोग के बारे में पता चलता है।
समान कुञ्जी (Symmetric key) और असमान कुञ्जी (Asymmetric key) कूटन (Encryption) अवधारणा का अनुप्रयोग कंप्यूटर विज्ञान में बहुतायत से होता है।
प्रस्तुत लेख में जटिल तकनीकी पक्ष पर न जाते हुए सरल भाषा में इसे समझाने का प्रयास किया गया है।
Did Rama eat meat’ will be a long article in many parts as it will examine the whole Vālmīkīya Rāmāyaṇa (VR), not being speculative to the maximum extent possible, to find out what exactly comes out about the oft raised issue of meat eating in general and by Rāma during exile in particular. The article will be a ‘dynamic one’ as I’ll be revising and refining it basis new and relevant findings in other sources and new insights. Meat here should be taken as ‘cooked animal flesh’ taken as diet.
ज़ीगरनिक प्रभाव एक ऐसी स्थिति है जिसमें हमारा मस्तिष्क अपूर्ण कार्यों व घटनाओं को स्मरण करवाता रहता है। हमें बार-बार उन्हीं अपूर्ण घटनाओं व कार्यों पर अटकाता रहता है। Bluma Wulfovna Zeigarnik नमक एक रूसी महिला मनोविद ने उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इस विषय पर शोध किया और उन्हीं के नाम पर इस मानसिक स्थिति का नाम पड़ा – ज़ीगरनिक प्रभाव।
चरचरी मैदानी क्षेत्रों का पक्षी है। जिसे धान के खेतों, खुले मैदानों, वाटिकाओं, जल स्रोतों के कूल पर या झाड़ियों पर बैठना रुचिकर है। जहाँ इनको इधर-उधर फुदकते हुए बीज और कीड़े-मकोड़े पकड़ते देखा जा सकता है।