आदिकाव्य रामायण से – 27, सुन्दरकाण्ड [न च मे विहितो मृत्युरस्मिन्दुःखेऽपि वर्तति]
आदिकाव्य रामायण से सुन्दरकाण्ड : जिनके अन्त:करण वश में हैं, कोई प्रिय या अप्रिय नहीं हैं,उन अनासक्त महात्माओं को नमस्कार है जिन्होंने स्वयं को प्रिय एवं अप्रिय भावनाओं से दूर कर लिया है। प्रीति उनके लिये दु:ख का कारण नहीं होती, अप्रिय से उन्हें अधिक भय नहीं होता।