भारती संवत परम्परा से

भारती संवत : परम्परा से कुछ सूत्र

जब हम शीत अयनांत की निकटवर्ती प्रतिपदा या पूर्णिमा से वर्ष आरम्भ की बात करते हैं तो यह मान कर चलते हैं कि किसी मानदण्ड पर शीत अयनांत का दिन पहले से ही ज्ञात है। निश्चय ही वह मानदण्ड शुद्ध सौर गति आधारित होगा तथा उसका चंद्रगति से कुछ नहीं लेना देना होगा। उन व्रत, पर्व आदि से जुड़े दूसरे बिंदु हेतु यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है जोकि अति प्राचीनकाल से वर्षों वर्ष माने व  मनाये जाते रहे हैं।

ऐसा कोई मानदण्ड काम कैसे करता होगा? वर्नियर कैलिपर्स से समझते हैं।

भारती सम्वत प्रस्ताव - गिरिजेश राव - vernalequinox-e

भारती संवत : प्रस्तावना (शीत अयनान्त एवं गुरु-शनि युति एक साथ)

भारती संवत – जब कि भारतीय परम्परा में शीत अयनांत के साथ नववर्ष आरम्भ के दृढ़ प्रमाण हों, नयी संवत्सर पद्धति आरम्भ करने का सबसे उत्तम अवसर है। मासानां मार्गशीर्षोऽहम्‌ (श्रीकृष्ण, भगवद्गीता, १०.३५)। कल अग्रहायण या मार्गशीर्ष मास की शुक्ल प्रतिपदा है, अमान्त पद्धति से मार्गशीर्ष मास का आरम्भ। इस दिन से मैं एक नये ‘भारती संवत’ का प्रस्ताव करता हूँ। अब्द, संवत, वर्ष, era, epoch आदि नामों के अर्थों की मीमांसा में न जाते हुये कहूँगा कि जैसे विक्रमाब्द, शालिवाहन शकाब्द आदि विविध संवत्‌ प्रचलित हैं, ऐसे ही यह नया संवत होगा।

शुन:शेप आख्यान ज्योतिष वेद यज्ञ यजुर्वेद खगोल विज्ञान

शुनःशेप ऐतरेय ब्राह्मण आख्यान : ठिठके प्रश्न, भटकते उत्तर

एक था शुनःशेप, वरुण की वेधशाला का अभ्यर्थी, जिसे स्वयं नहीं ज्ञात था कि वह अभ्यर्थी भी है और दूसरे थे वरुण की वेधशाला के वर्तमान कुलपति ऋषि विश्वामित्र जो अभ्यर्थी की परीक्षा ले रहे थे।

सूर्यग्रहण

सूर्यग्रहण 21 June Solar Eclipse

सङ्क्रान्ति, विषुव, दिन, रात, अयन, अधिमास, ऋण, ऊनरात्र एवं धन; ये सूर्य की गति से होनेवाली दस दशाएँ शरीर में भी होती हैं। प्राणायाम करें स्वस्थ रहें। प्रत्येक दिन ही चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण समान पुण्य अर्जित करें।

Hindu Time Reckoning हिन्दू कालगणना : कालः स ईयते परमो नु देवः

Hindu Time Reckoning हिन्दू कालगणना, ग्रहों को अहोरात्र की होराओं का स्वामित्व नहीं सौंपा गया था। कालनिर्धारण की सबसे सटीक काल-यंत्र पृथ्वी ।

Calendar Reform Saptarshis कस्ध्रुवं? कुतः सप्तर्षयः?

‘पञ्चाङ्ग-संशोधन तथा एक नवीन सम्वत की आवश्यकता’ किसी स्वप्नदर्शी का एक वृहदाकार स्वप्न है। इस स्वप्न में अनेक प्रश्न अन्तर्निहित हैं तथा उन प्रश्नों के सम्भावित उत्तरों के साथ अनेकानेक विसंगतियाँ संश्लिष्ट हैं।

गुरु आधारित संवत्सर चक्र एवं पञ्चाङ्ग संशोधन की आवश्यकता – दैत्यगुरु शुक्र, देवगुरु बृहस्पति एवं शनि

  गुरुपत्नी राजपत्नी मित्रपत्नी तथैव च । पत्नीमाता स्वमाता च पञ्चैताः मातरः स्मृताः ॥ (गुरु, राजा, मित्र, पत्नी की मातायें एवं अपनी माता, इन पाँच को माता माना जाता है।)   सुदर्शन एवं दिव्यरूपधारी चन्द्र ने अपने गुरु बृहस्पति की पत्नी तारा को लुभा लिया। वह आश्रम तज अपने प्रेमी के घर आ गई। बड़ी…

Babylonian and Indian Astronomy बेबिलॉन एवं भारतीय ज्योतिष – अन्तिम भाग

प्रतीत होता है कि सौर राशि चिह्नों को आज जैसा हम जानते हैं, उनका उद्भव भारत में हुआ जहाँ उनका सम्‍बन्‍ध नक्षत्रों के अधिष्ठाता देवताओं से है।

Babylonian and Indian Astronomy बेबिलॉन एवं भारतीय ज्योतिष – 3

बेबीलॉन गणित साठ (60) पर आधारित गणना पर निर्भर करता है, जिसका अर्थ है कि उसमें स्थानिक मान तंत्र का आधार 60 है। बेबीलॉन की गणितीय परंपरा की यह मुख्य विशेषता मानी जाती है। बेबीलॉन नववर्ष वसन्‍त विषुव के साथ अथवा उसके अनन्‍तर आरम्भ होता है।

Babylonian and Indian Astronomy बेबिलॉन एवं भारतीय ज्योतिष – 2

भारत के प्रारम्‍भिक वर्षों में शतवर्षीय पञ्चाङ्ग का अस्तित्व था, जिसका 2700 वर्षों का चक्र होता था। इसे सप्तर्षि पञ्चाङ्ग कहा जाता था।

Metonic Cycle Vedang Jyotish! No!! : मृग ढूँढ़े वन माँहिं !

Metonic Cycle Vedang Jyotish आर्य शैली या तो दस के गुणक की है या आठ की! उन्नीस की संख्या न तो हमारी दाशमिक प्रणाली से समर्थित है न अष्टक प्रणाली से!

Revati Nakshatra – fall and rise रेवती नक्षत्र – पतन एवं पुनर्प्रतिष्ठा : कहानी मात्र कहानी नहीं !

क्योंकि प्रत्येक कहानियाँ मात्र कहानियाँ नहीं होतीं! कुछ कहानियाँ, कहानियों के अतिरिक्त भी, कुछ और भी होती हैं और रेवती नक्षत्र की कथा आर्ष भारतीय ज्योतिष के एक महान तथा विशिष्ट घटना को अभिव्यक्त करने वाला रूपक है।

मुल्ला नसीरुद्दीन, विक्रमादित्य और ज्योतिष – प्रतीकों उलझी एक कहानी

मुल्ला नसीरुद्दीन, विक्रमादित्य और ज्योतिष …सूर्य के खगोलीय-अयन से संबंधित ज्योतिष की यह घटना भारतीय साहित्य में एक रोचक कथा का रूप धारण कर चुकी थी।

भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग

अरुण उपाध्याय जी द्वारा इस लेख में भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग के विषय में आधारभूत जानकारियां बहुत ही सरल शैली में बताई गयी हैं।