वनौषधि वर्ग अमरकोश से : लघुदीप – ३७

वनौषधि वर्ग अमरकोश से : लघुदीप – ३७

चीनी विषाणु के काल में उपचार के अनेक उपाय किये जा रहे हैं। पारम्परिक वैद्यकी व ज्ञान भी प्रयोग में लाया जा रहा है। ऐसे में सहज ही आयुर्वेद पर ध्यान जाता है। आयुर्वेदिक उपचार पौधों पर अत्यधिक निर्भर है। आयुर्वेद के निघण्टु शास्त्र आदि तो नहीं, अमरकोश से देखते हैं कुछ पारिभाषिक शब्द, कुछ नाम व कुछ पर्याय। शब्दों के प्रचलित व रूढ़ हो चुके अर्थों से कुछ भिन्न हो सकते हैं।

अमरकोश शब्द : लघु दीप

नाम अमरकोश से : लघु दीप – ३६

चन्दन आदि को घिसने से उत्पन्न सुगन्धि को परिमल कहते हैं।
दूर तक पसरने वाली सुगन्‍ध को समाकर्षी एवं निर्हारी नाम दिये गये हैं।
सुगन्धि के चार नाम हैं – सुरभि, घ्राणतर्पण, इष्टगन्‍ध एवं सुगन्धि।
मुख को सुगन्‍धित करने वाले द्रव्य आमोदी एवं मुखवासन कहे गये हैं।
दुर्गन्‍ध के दो नाम हैं, पूतिगन्‍धि एवं दुर्गन्ध।
कच्चे मांस की गन्ध को विस्र एवं आमगन्धि नाम दिया गये हैं।

Amarkosha अमरकोश, कुछ शब्द : लघु दीप – ३५

Amarkosha अमरकोश, कुछ शब्द : लघु दीप – ३५

अमरसिंह जिस क्षेत्र के थे वहाँ राजा के साले को राष्ट्रिय (आज के राज्यपाल की भाँति) पद दिया जाता था, ऐसा न समझें कि राजा का साला अर्थात पूरे राष्ट्र का साला! कुछ भाष्यकारों के अनुसार राठौर वंश किसी राष्ट्रिय का ही है।

अमरकोश : कुछ प्रचलित शब्द : लघु दीप

Amarkosha अमरकोश, कुछ प्रचलित शब्द : लघु दीप – ३४

पहुना, पाहुन (भोजपुरी, मैथिली आदि), संस्कृत में प्राघुणक।
प्राघूर्णिक: प्राघुणकश्च। – अभ्यागत हेतु।
अमरकोश से निकलते, कुछ प्रचलित शब्द आज के लघु दीप में।

Panchatantra पंचतंत्र (पञ्चतन्‍त्र)

Panchatantra पंचतंत्र (पञ्चतन्‍त्र) – चटकी का प्रतिशोध : लघु दीप – ३३

panchatantra-पंचतंत्र-पञ्चतन्‍त्र – ह से हिंदू के अतिरिक्त जब उसे शासन तंत्र से भी समझते हैं तो वर्तमान जाने कितने अर्थ ले लेता है! रोहिंग्या, बांग्लादेशी, डफली गैंग, नागर नक्सल, जमाती, जिहादी, soul harvesters आदि अनादि जाने कितने चटकी-वीणारव-मेघनाद-काष्ठकूट समूह हैं और हाथी … ह से हाथी, ह से हिंदू के अतिरिक्त जब उसे शासन तंत्र से भी समझते हैं तो वर्तमान जाने कितने अर्थ ले लेता है! दुबारा से कथा पढ़ विचारें तो!

Phragmites karka नल नरकुल नळ और बुद्ध (लघु दीप)

Phragmites karka नल नरकुल नळ और बुद्ध : लघु दीप – ३२

Phragmites karka नल नरकुल – गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥ अनागतप्पजप्पाय, अतीतस्सानुसोचना। एतेन बाला सुस्सन्ति, नळोव हरितो लुतो’’ति॥
ऐतिहासिक बुद्ध जिस धरती पर जन्मे थे, वहाँ नरकुल की बहुलता थी। उनके उपदेशों में तो चर्चा है ही, इतर बौद्ध वाङ्मय में नळ के उल्लेख से तत्कालीन समाज में इस वनस्पति के बहुविध उपयोग के बारे में पता चलता है।

Andropogon muricatus usira उशीर Vetiver खस और बुद्ध : लघु दीप - ३१

Andropogon muricatus usira उशीर Vetiver खस और बुद्ध : लघु दीप – ३१

Andropogon muricatus usira उशीर ‍~ तुम्हारे कल्याण के लिये कहता हूँ – जैसे खस के लिये लोग उसीर को खोदते हैं, वैसे ही तुम तृष्णा की जड़ खोदो। नळ उस धरा पर बहुलता से होने वाला तृण है जिस पर कभी बुद्ध भ्रमण करते थे। उसकी जड़ें बहुत दूर तक पहुँचती हैं। अगले अङ्क में भी तो कुछ जानना है न?

Bauhinia vahlii मालुवा चाम्बुली

Bauhinia vahlii Maluva चाम्बुली, मालू, Camel’s foot creeper और बुद्ध : लघु दीप – 30

Bauhinia vahlii Maluva चाम्बुली ~मेरी प्रेमिका मालुवा लता सी लिपटी। प्रमत्त होकर आचरण करने वाले मनुष्य की तृष्णा मालुवा लता की भाँति बढ़ती है। भारतीय वाङ्मय में अपने परिवेश, जन, अरण्य, पशु-पक्षियों व वनस्पतियों के प्रति अनुराग और जुड़ाव बहुत ही सहज रूप में दिखता है। अब उपेक्षा और अज्ञान इतने बढ़ चुके हैं कि आज के भारतीय जन को देख कर तो लगता ही नहीं कि यह वही धरा है, उसी के लोग हैं!

Nīti-Sāraḥ नीतिसार

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 29

Nīti-Sāraḥ नीतिसार :Tiny Lamps लघु दीप – 28 करपात्र या पाणिपात्र, जिसका हाथ ही भोजनपात्र है। ब्रह्मा द्वारा आरुणि को संन्यास उपदेश का अन्तिम, पाँचवा मन्त्र। इस सामवेदीय लघु उपनिषद्‌ में मात्र पाँच गद्य मन्त्र हैं।

Nīti-Sāraḥ नीतिसार

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 28

Nīti-Sāraḥ नीतिसार :Tiny Lamps लघु दीप – 28 ऋग्वेद दस मण्डलों में विभाजित है। एक अन्य विभाजन चतुरङ्ग के वर्गों का आधार ले आठ अष्टकों का भी है।

Nīti-Sāraḥ नीतिसार

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 27

Nīti-Sāraḥ नीतिसार : Tiny Lamps लघु दीप – 27 ऋग्वेद दस मण्डलों में विभाजित है। एक अन्य विभाजन चतुरङ्ग के वर्गों का आधार ले आठ अष्टकों का भी है।

बीज माता राहीबाई Tiny Lamps लघु दीप – 24

विडंबना ही है की सरकार प्रत्येक वर्ष लाखों के अंशदान नवीन शोधार्थियों को देती है परन्तु जो कार्य उनमें से किसी को करना चाहिए वह कार्य एक साधारण किसान स्त्री कर लेती है वह भी किसी प्रायोजित धन के। कुछ दिवस पूर्व ही वृक्ष माता सालूमरदा थिमक्का को पद्मश्री मिला है।

ऋग्वैदिक पक्थ, एक भारतीय ‘हिन्‍दू पश्तून’ युवती : Tiny Lamps लघु दीप – 23

पीढ़ियाँ बीतीं, समय पहुँचा एक हिंदू पश्तून शिल्पी बत्रा तक जिसे पञ्जाबी बता कर पाला पोसा गया था। भारत आये पुरखों ने अपना अभिजान छिपा लिया था।

काशी में मोदी – सोशल मीडिया से : Tiny Lamps लघु दीप – 21

काशी में चल रहे विकास को ले कर आज कल लोग दो भागों में बँटे हुये हैं, कुछ समर्थन में हैं तो कुछ विरोध में। विकास कार्य जिस विश्वनाथ मन्दिर क्षेत्र में हो रहे हैं, उससे बहुत दूर लंका क्षेत्र में पुनर्निर्माण हेतु एक पुराने भवन को स्वामी द्वारा गिराये जाने एवं नवनर्माण के समय खुदाई के समय मिले अनेक अनगढ़ शिवलिंगों के मिलने से राजनीति तप उठी।

Bathukamma Boddemma बतुकम्मा एवं बोड्डेम्मा – स्त्री पर्व : Tiny Lamps लघु दीप – 19

बतुकम्मा, बोड्डेम्मा। तेलंगाना-तेलगू क्षेत्रों में दो ऐसे पर्व हैं जो पूर्णत: स्त्रियों द्वारा मनाये जाते हैं, पुरुषों का योगदान सामग्री आदि के प्रबंध तक सीमित रहता है।

जापानी उक्तियाँ (दूसरी कड़ी) : Tiny Lamps लघु दीप – 19

एशियाई सभ्यताओं में पारस्परिक सम्पर्क, विशेषकर बौद्ध मत के कारण, अनेक समानतायें पाई जाती हैं । देखना है कि मघा के पाठक उनका कितना अभिज्ञान कर पाते हैं!

जापानी उक्तियाँ, यज़िदी नादिया मुराद को नोबेल पुरस्कार : Tiny Lamps लघु दीप – 18

अस्तित्त्व को जूझते एक अज्ञात गाँव की साधारण सी लड़की इस प्रकार एक नृजाति के अस्तित्त्व के सङ्कट को वैश्विक स्तर पर रेखाङ्कित कर देगी! इस लघु दीप को नमन।

Sanskrit Riddles प्रहेलिका आलाप : Tiny Lamps लघु दीप – 17

प्रहेलिका – गुप्त, च्युत, कूट, आलाप – अन्तर्, बहिर् … आलापों के उत्तर हेतु पौराणिक घटनाओं एवं पर्यायवाचियों का ज्ञान परमावश्यक है।

Tiny Lamps लघु दीप – 16

प्राकृत सुभाषित – चारित्र, ज्ञान, क्रिया एवं दु:खनाश असुहादो विणिवित्ती, सुहे पवित्ती य जाण चारित्तं । [द्रव्यसंग्रह] अशुभ से निवृत्ति एवं शुभ में प्रवृत्ति ही चारित्र है। चारित्तं खलु धम्मो । [प्रवचनसार] यथार्थत: चारित्र ही धर्म है। नाणंमि असंतंमि, चारित्तं वि न विज्जए । [व्यवहार भाष्य] ज्ञान के अभाव में चारित्र भी नहीं है । जेण…