पतनोन्मुख भारतीय शिक्षातंत्र व भविष्य
‘हमें चाहिये आजादी’ केवल उत्साही नारा मात्र नहीं, वह भी नहीं जो इसके सिद्धांतकार बताते फेचकुर फेंक देते हैं; यह तीव्र गति से पसर रहे एक घातक रोग का लक्षण है। इस रोग में उत्तरदायित्व का कोई स्थान नहीं, कर्तव्य पिछड़ी सोच है तथा बिना किसी आत्ममंथन के कि हम इस देश से जो इतना ले रहे हैं, कुछ दे भी रहे हैं क्या? केवल अधिकार भाव है, अतिक्रांत सी स्थिति।