Little by little and bit by bit

लघु दीप अँधेरों में tiny lamps – 9

लघु दीप अँधेरों में : जो पुरुष शत्रुओं द्वारा दिये गये बिना लोहे का बना शस्त्र ग्रहण कर लेता है, वह साही के घर में प्रवेश कर हुताशन से बच जाता है। विचरण करते रहने से मार्गों का ज्ञान हो जाता है, नक्षत्रों से दिशा को जाना जाता है। अपने पाँच को पीड़ा पहुँचाने वाला पीड़ित नहीं होता।

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Valmiki Ramayan Sundarkand Valmikiya Ramayan वाल्मीकीय रामायण

आदिकाव्य रामायण से – 30, सुन्‍दरकाण्ड [अहं रामस्य संदेशाद्देवि दूतस्तवागतः]

आदिकाव्य रामायण , सुन्‍दरकाण्ड से : जाने कितने ताप भरे दिन बीते थे, शोक एवं प्रताड़ना के जाने कितने कर्कश शब्द सुनने के पश्चात कोई प्रियवादी कुशल क्षेम पूछने वाला मिला था, हर्षित सीता अपनी रामकहानी कहती चली गयीं … श्रीराम के बिना मुझे स्वर्ग में भी निवास भी नहीं रुचता – न हि मे तेन हीनाया वासः स्वर्गेऽपि रोचते।

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अष्टाङ्ग योग का सप्तम सोपान - धारणा

अपेक्षाओं, मान्यताओं एवं कामोत्तेजना का प्रभाव – सनातन बोध – 27

अपेक्षाओं, मान्यताओं एवं कामोत्तेजना का प्रभाव : इस साधारण से प्रयोग के निष्कर्ष थे कि लोगों को पता नहीं होता कि कामोत्तेजना की अवस्था में उनके निर्णय लेने की क्षमता किस प्रकार परिवर्तित हो जाती है। वही व्यक्ति जब शांत अवस्था में हो एवं जब कामोत्तेजित अवस्था में, तो उसके सोचने की प्रवृत्ति पूर्णत: परिवर्तित हो जाती है।

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Indian Whistling Duck, छोटी सील्ही। चित्र सर्वाधिकार: आजाद सिंह, © Ajad Singh, सरयू नदी का कछार, माझा, अयोध्या, फैजाबाद उत्तर प्रदेश, July 16, 2017

Lesser Whistling Duck / Indian Whistling Duck / छोटी सील्ही

Lesser Whistling Duck छोटी सील्ही एक कत्थई रंग की बारहमासी बत्तख है। यह पेड़ पर भी पर्याप्त समय बसेरा करती है अतः इसे पेड़ का बतख भी कहा जाता है। यह लगभग सम्पूर्ण भारत में पाई जाती है।

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पारसी - हिंदी - अंग्रेजी

हिंदी – संवैधानिक पृष्ठभूमि व स्थिति

हिंदी – संवैधानिक पृष्ठभूमि व स्थिति : यहाँ तक कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के प्राधिकृत अनुवाद भी नहीं छपते। क्या हमारी राजभाषा की यह अपमानजनक संवैधानिक स्थिति  स्वयं संविधान का ही घोर उल्लंघन नहीं? 

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तप नहीं तो कुछ भी नहीं

बहुत दिनों तक प्रगति का नेतृत्त्व पश्चिम ने किया, अब पुरातन एशियाई जगत भी आगे निकलने को अँगड़ाइयाँ लेने लगा है। प्रश्न यह है कि हम उनमें कौन हैं, कहाँ हैं, क्या कुछ अनूठा कर रहे हैं? जब मैं अनूठा कह रहा हूँ तो किसी बड़े प्रकल्प की बात नहीं कर रहा। मैं एक व्यक्ति के रूप में, परिवार के रूप में, संस्था के रूप में नवोन्मेष की बात कर रहा हूँ, साथ ही उस अनुशासन की भी जो कि न्यूनतम आवश्यकता है। देश बड़े तभी होते हैं जब उनके नागरिक बड़े होते हैं।

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