Bauhinia vahlii Maluva चाम्बुली, मालू, Camel’s foot creeper और बुद्ध : लघु दीप – 30
Bauhinia vahlii Maluva चाम्बुली ~मेरी प्रेमिका मालुवा लता सी लिपटी। प्रमत्त होकर आचरण करने वाले मनुष्य की तृष्णा मालुवा लता की भाँति बढ़ती है। भारतीय वाङ्मय में अपने परिवेश, जन, अरण्य, पशु-पक्षियों व वनस्पतियों के प्रति अनुराग और जुड़ाव बहुत ही सहज रूप में दिखता है। अब उपेक्षा और अज्ञान इतने बढ़ चुके हैं कि आज के भारतीय जन को देख कर तो लगता ही नहीं कि यह वही धरा है, उसी के लोग हैं!
Hypocrisy ढोंग : सनातन बोध – ८२
Hypocrisy ढोंग – भीतर से क्रूर होते हैं किंतु मधुर वाणी बोलते हैं। वे घासफूस से ढके कुँये के समान होते है, धर्मध्वजी बन कर संसार को लूटते हैं। वर्ष २००१ में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि नैतिकता का दिखावा कर रहे लोग उतने ही स्वार्थी निकले जितना नैतिकता के झंझट में नहीं रहने वाले। निष्पक्षता का चोला पहने पत्रकार इसके सटीक उदाहरण हैं।
ममता और निर्ममता : शब्द – ७
ममता और निर्ममता- ममता (मम+तल्+टाप्)। तल्+टाप् से बनने वाले शब्द सदा स्त्रीलिंग होते हैं। जहाँ मम अर्थात् स्वकीय भाव का अभाव हो – निर्मम। भारतीय आन्वीक्षिकी में राजपुरुषों, धर्मस्थों आदि हेतु निर्ममता को एक आदर्श की भाँति लिया गया है। समय के साथ शब्दों के अर्थ रूढ़ होते जाते हैं। निर्मम शब्द का अर्थ अब बहुधा नकारात्मक रूप में लिया जाता है, क्रूरता से, बिना किसी करुणा आदि के किया गया अवांंछित कर्म निर्मम कह दिया जाता है।
Arthashastra Punishes Malfeasant Judges अर्थशास्त्र व कदाचारी न्यायाधीश
न्याय का नाश करने की स्थिति में दण्डित करने के विधान बड़े स्पष्ट एवं सरल थे, दुरूह स्थिति नहीं थी। अर्थशास्त्र में कौटल्य (वा विष्णुगुप्त चाणक्य) ने न्यायालय को ‘धर्मस्थीय’ कहा है अर्थात वह स्थान जहाँ ‘धर्म में स्थित’ जन रहते हों। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का घोष वाक्य है – यतो धर्मस्ततो जय:। महाभारत से लिया गया यह अंश उद्योग पर्व में प्रयुक्त हुआ है।
Pied bushchat काला पिद्दा
Pied bushchat काला पिद्दा। इस पक्षी का अश्वक नाम अश्व अर्थात घोड़े के शिशु की चञ्चल चपल प्रकृति से साम्यता के कारण पड़ा। अश्म शब्द का अर्थ पत्थर या चट्टान है जिसकी सङ्गति Rock Thrus एवं Stone Chat (Saxicola torquatus) से बैठती है।
अधिकमास पुरुषोत्तममास मलमास मलिम्लुच अधिमास संसर्प अंहस्पति अंहसस्पति
क्या होता है मलमास? पुरुषोत्तम नाम क्यों ? मलमास दो प्रकार का है – अधिकमास व क्षयमास। अधिकमास पुरुषोत्तममास मलमास मलिम्लुच – अधिमासव्रते प्रीत्या गृहाणार्घ्यं श्रिया सह ॥पुराणपुरुषेशान जगद्धातः सनातन। पुरुषोत्तमाय नम:।